Rabindranath Tagore Jayanti 2020: रवींद्रनाथ टैगोर ने जब महात्मा गांधी के एक बयान के बाद पर उन पर लगाया अंधविश्वास का आरोप!
By मनाली रस्तोगी | Published: May 7, 2020 06:26 AM2020-05-07T06:26:23+5:302020-05-07T06:26:23+5:30
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एशियाई रवींद्रनाथ टैगोर की 7 मई को 159वीं जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर जानिए कि आखिर टैगोर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अंधविश्वास का आरोप क्यों लगाया था?
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित पहले एशियाई रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था। इस बार उनकी 159वीं जयंती मनाई जा रही है। हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर के जन्म की तारीख को लेकर कुछ विरोधाभास भी हैं। दरअसल, बंगला पंचाग के मुताबिक टैगोर का जन्म वैशाख की 25 तारीख को हुआ था, जो इस साल 8 मई को पड़ रहा है।
बहरहाल, आज हम मशहूर संगीतकार, चित्रकार और लेखक रहे टैगोर के महात्मा गांधी के साथ रिश्तों के बारे में बताने जा रहे हैं। अपनी मित्रता को लेकर भी काफी चर्चित थे। ये अहम इसलिए भी है कि गांधी को महात्मा की उपाधि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने ही दी थी। दिलचस्प ये है कि गुरुदेव ही उनके सबसे बड़े आलोचक भी रहे।
ऐसे कई मुद्दे और बातें रहीं जिस पर टैगोर दरअसल महात्मा गांधी से अलग दूसरी पंक्ति में खड़े दिखाई दिए। इसी में से एक मामला था साल 1934 में बिहार में आया भूकंप का, जिसे लेकर टैगोर ने गांधी पर अंधविश्वास का आरोप लगाया था।
सब्यसाची भट्टाचार्य की किताब 'द महात्मा एंड द पोयट: लेटर्स एंड डिबेट्स बिटवीन गांधी एंड टैगोर 1915-1941' (The Mahatma and The Poet: Letters and Debates between Gandhi and Tagore 1915-1941) में ऐसी ही एक घटना का जिक्र है। इसके अनुसार, बिहार में साल 1934 में एक भूकंप आया, जिसको लेकर महात्मा गांधी का एक बयान प्रेस में आया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह दलितों के प्रति छुआछूत के पाप का दंड है जो ईश्वर ने दिया है।
जब रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधी का ये बयान सुना तो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और उन्होंने इस बयान को लेकर गांधी की आलोचना भी की थी। गांधी के इस बयान को टैगोर ने घोर अंधविश्वास बताया था। यही नहीं, टैगोर ने इस पर एक व्यंग्यपरक लेख भी लिखा और गांधी द्वारा भूकंप को लेकर दिए गए तर्क को अवैज्ञानिक करार दिया।
टैगोर ने इस मामले में कहा था कि मुझे इस पर विश्वास करना मुश्किल लगता है, लेकिन अगर इस मामले पर ये आपका वास्तविक विचार है, तो मुझे लगता कि आपके इस बयान का उत्तर जरुर देना चाहिए। 28 जनवरी 1934 को लिखे गए एक पत्र में टैगोर ने महात्मा गांधी को ये बात कही थी। साथ ही, टैगोर ने आग्रह किया था कि उनके इस लेख को 'हरिजन' में प्रकाशित किया जाए।
दिलचस्प ये भी रहा कि टैगोर का ये लेख हरिजन में 'द बिहार अर्थक्वाक' (The Bihar Earthquake) के नाम से प्रकाशित भी हुआ। अपने इस लेख में टैगोर ने ये भी लिखा था कि मैं महात्मा गांधी का ये बयान सुनकर आश्चर्यचकित हूं कि वो उन लोगों को इसका जिम्मेदार बता रहे हैं, जोकि छुआछूत को लेकर अपने रीती-रिवाज मानते हैं। जबकि बिहार में आया भूकंप एक भौतिक उत्पत्ति है। इस तरह के बयान दुर्भाग्यपूर्ण होते हैं क्योंकि देश में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस तरह की अवैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आसानी से विश्वास कर लेता है।
जहां एक ओर रवींद्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी के तर्क को अवैज्ञानिक बताया था तो वहीं गांधी ने भी इस आरोप के जवाब में एक लेख लिखा था। उन्होंने लिखा था कि भले ही सूखा, बाढ़, भूकंप और इस तरह की चीजें केवल भौतिक उत्पत्ति की वजह से होती हैं। मगर मेरे लिए ये सब भौतिक उत्पतियां किसी तरह मनुष्य की नैतिकता के साथ जुड़ी हुई हैं। इसलिए, मैंने सहजता से महसूस किया कि यह भूकंप दलितों के प्रति छुआछूत के पाप का ईश्वरीय दंड है।
बता दें कि रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी भले ही कई मामलों में अलग-अलग सोच रखते रहे हों, लेकिन दोनों की मित्रता के भी किस्से खूब हैं। इस मामले की जानकारी बेहद कम लोगों को है कि टैगोर को गुरुदेव की उपाधि महात्मा गांधी ने ही दी थी, जबकि गांधी को महात्मा की उपाधि टैगोर ने दी थी। ऐसे में जहां गांधी टैगोर को गुरुदेव के नाम से संबोधित करते थे तो वहीं टैगोर भी गांधी को महात्मा के नाम से संबोधित करते थे।