महाराष्ट्र का कृषि बिल चार साल से केंद्र के पास!
By हरीश गुप्ता | Updated: March 23, 2021 20:23 IST2021-03-23T20:22:31+5:302021-03-23T20:23:44+5:30
महाराष्ट्र ने यह विधेयक विधानसभा में पारित करके 25 अप्रैल 2017 को केंद्र के पास भेज दिया था. राज्यों के विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति जरूरी होती है.

महाराष्ट्र सरकार से सारे मुद्दों पर स्पष्टीकरण मिल जाने की पुष्टि करते हुए कहा है कि अब इनकी संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा जांच की जा रही है.
नई दिल्लीः विरोधाभास ही कहा जाएगा कि केंद्र सरकार एक ओर जहां किसानों की स्थिति सुधारने के लिए तीन कृषि कानूनों पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर उसके पास महाराष्ट्र कृषि भूमि लीजिंग कानून (एमएएलएलए) संशोधन विधेयक चार साल से लंबित है.
महाराष्ट्र ने यह विधेयक विधानसभा में पारित करके 25 अप्रैल 2017 को केंद्र के पास भेज दिया था. राज्यों के विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति जरूरी होती है. उल्लेखनीय तौर पर यह विधेयक उस वक्त पारित किया गया था जब राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार थी. लेकिन उसके बाद से यह किसी न किसी वजह से अधर में लटका हुआ है.
यह चौंकाने वाला खुलासा संसद में गृह राज्यमंत्री जी. कृष्णा रेड्डी के एक जवाब से हुआ. एक सवाल के जवाब में रेड्डी ने कहा, ''तय प्रक्रिया के मुताबिक राज्यों से मिले विधेयकों को संबंधित मंत्रालयों/केंद्रीय विभागों की सलाह से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए अग्रेषित किया जाता है. ''
कृपाल बालाजी तुमाने और संजय हरिभाऊ जाधव के एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र कृषि भूमि लीजिंग कानून संशोधन विधेयक 2017 पर मंत्रालयों/विभागों से सलाह-मशविरे की प्रक्रिया 12 मई 2017 को शुरू कर दी गई थी.
एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्र ने स्पष्ट किया कि 'महाराष्ट्र सरकार से कुछ मुद्दों पर' केंद्र सरकार के विभागों ने स्पष्टीकरण मांगा था. केंद्र ने पिछले साल 14 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार से सारे मुद्दों पर स्पष्टीकरण मिल जाने की पुष्टि करते हुए कहा है कि अब इनकी संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा जांच की जा रही है.