महाराष्ट्र चुनावः कहीं छुट्टियां मनाने निकल न पड़े वोटर, BJP को सता रहा डर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 19, 2019 06:13 AM2019-10-19T06:13:04+5:302019-10-19T06:13:04+5:30

महाराष्ट्र चुनावः मोदी के भाषण में यहां तक तो ठीक था कि वे पवार पर हमला बोल रहे थे. दरअसल, सब लोग जानते हैं कि महाराष्ट्र में पवार के खिलाफ नहीं बोलेंगे तो भाजपाई नेताओं के भाषण में कोई दम ही नहीं बचेगा, क्योंकि राज्य में कांग्रेस के पास ऐसा कोई कद्दावर नेता नहीं बचा है, जिसे निशाने पर लिया जा सके.

maharashtra poll: bjp congress fight in state, lok sabha bypolls | महाराष्ट्र चुनावः कहीं छुट्टियां मनाने निकल न पड़े वोटर, BJP को सता रहा डर

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Highlightsबिना किसी ठोस कारण के राकांपा से भाजपा में जाने वाले शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले को सातारा लोकसभा उपचुनाव में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चुनावी सभा में मोदी ने चिर-परिचित अंदाज में फिर एक बार राकांपा क्षत्रप शरद पवार को ललकारा.

प्रमोद गवली

बिना किसी ठोस कारण के राकांपा से भाजपा में जाने वाले शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले को सातारा लोकसभा उपचुनाव में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि उनकी मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सातारा आना पड़ा. चुनावी सभा में मोदी ने चिर-परिचित अंदाज में फिर एक बार राकांपा क्षत्रप शरद पवार को ललकारा. कहा कि सातारा यदि पवार का गढ़ है, तो उन्हें यहां से चुनाव लड़ना चाहिए था. उनके कार्यकर्ताओं ने भी उनसे चुनाव लड़ने की मांग की थी. इसके बावजूद पवार सातारा से नहीं लड़े.

मोदी के भाषण में यहां तक तो ठीक था कि वे पवार पर हमला बोल रहे थे. दरअसल, सब लोग जानते हैं कि महाराष्ट्र में पवार के खिलाफ नहीं बोलेंगे तो भाजपाई नेताओं के भाषण में कोई दम ही नहीं बचेगा, क्योंकि राज्य में कांग्रेस के पास ऐसा कोई कद्दावर नेता नहीं बचा है, जिसे निशाने पर लिया जा सके. इसलिए राहुल गांधी को भी घसीटा जाता है. भाजपा के नेता यह बखूबी जानते हैं कि राहुल की कमियों को उभारकर न सिर्फ वे मनोरंजन करते हैं बल्कि यह भी जताते हैं कि कांग्रेस के पास कोई ढंग का नेता नहीं बचा है.

बहरहाल, सारे कथित निष्पक्ष चुनावी सव्रेक्षण बता रहे हैं कि भाजपा को अपने बूते सरकार बनाने के लिए सीटें मिल सकती हैं. एक चैनल के मुताबिक भाजपा के आंतरिक सव्रेक्षण कहता है कि कुल 164 सीटों में से 122 सीटों पर उसकी जीत पक्की है जबकि 40 सीटों पर कड़ा मुकाबला होने जा रहा है. इनमें से आधी सीटें भी उसके खाते में आ जाती हैं, तो सरकार बनाने के लिए उसे शिवसेना की जरूरत महसूस नहीं होगी.

इन सभी पहलुओं के बीच भाजपा को यह चिंता सता रही है कि मतदान के दिन लोग वोट डालने निकलेंगे भी या नहीं! शहरी इलाकों और बड़े कस्बों में मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग (इनमें व्यापारी वर्ग भी शामिल है) भाजपा का पारंपरिक वोटर माना जाता है. यह वह वर्ग है, जो छुट्टियां मनाने का आदि होता है. 

राज्य में 21 अक्टूबर को यानी सोमवार को वोट डाले जाने हैं. इससे पहले के दो दिन (मतलब शनिवार और रविवार) अवकाश के दिन हैं. भाजपा का प्रतिबद्ध मध्यम वर्ग यदि इन दो-तीन दिनों में कहीं सैर-सपाटे पर निकल गया तो उसे मिलने वोटों में चार से पांच फीसदी की कमी आ सकती है, जो उसे बहुत भारी पड़ेगी. 

कुछ सीटों पर उसे अपनी पार्टी के अलावा शिवसेना के बागियों का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यदि उसका पका-पकाया वोट छुट्टी मनाने निकल जाता है, तो उसका परिणाम उससे भुगतना पड़ेगा. इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी को कहना पड़ा कि वोट डालने के लिए जरूर जाएं, छुट्टियां न मनाएं!

यदि मोदी अपने भाषण में इस बात का जिक्र कर रहे हैं, तो इसका यही मतलब निकाला जा सकता है कि भाजपा को कोई चिंता जरूर सता रही है. समूचे राज्य में भाजपा को यह चिंता खाए जा रही है कि लोगों को वोट डलवाने के लिए घरों से कैसे निकाला जाए. भाजपा कार्यकर्ता और नेताओं ने इस पहलू पर काम करना शुरू कर दिया है. इसमें कोई संदेह नहीं कि संघ के स्वयंसेवक भी इस ओर ध्यान दे रहे हैं.

यदि हाल के लोकसभा चुनावों के मतदान प्रतिशत की बात करे तो भाजपा के लिए ज्यादा चिंता की बात नहीं है, क्योंकि उसे 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. यही बात पांच साल पहले संपन्न विधानसभा चुनावों के लिए लागू होती है. उस समय भाजपा और शिवसेना के वोटों को मिलाया जाए तो 47 फीसदी वोट हो जाते हैं.

Web Title: maharashtra poll: bjp congress fight in state, lok sabha bypolls

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