महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवादः सीएम शिंदे ने विधानसभा में प्रस्ताव किया पेश, 865 मराठी भाषी गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 27, 2022 02:23 PM2022-12-27T14:23:00+5:302022-12-27T14:24:15+5:30
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य विधायिका ने सीमा विवाद को जानबूझकर भड़काने के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया था।
नागपुरः महाराष्ट्र विधानसभा ने कर्नाटक के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच पड़ोसी राज्य में स्थित 865 मराठी भाषी गांवों का अपने राज्य में विलय करने पर ‘‘कानूनी रूप से आगे बढ़ने’’ के लिए एक प्रस्ताव मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
Maharashtra CM Eknath Shinde moves a resolution over Maharashtra-Karnataka border dispute in State Assembly pic.twitter.com/Sher1iGEFn
— ANI (@ANI) December 27, 2022
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य विधायिका ने सीमा विवाद को जानबूझकर भड़काने के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया था। महाराष्ट्र विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार 865 गांवों में रह रहे मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। राज्य सरकार कर्नाटक में 865 मराठी भाषी गांवों की एक-एक इंच जमीन अपने में शामिल करने के मामले पर उच्चतम न्यायालय में कानूनी रूप से आगे बढ़ेगी।’’
#UPDATE | Maharashtra-Karnataka border issue | Maharashtra Legislative Assembly unanimously passed the resolution. pic.twitter.com/fySxEb6kr5
— ANI (@ANI) December 27, 2022
कर्नाटक विधानसभा ने महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव में राज्य के हितों की रक्षा करने और अपने पड़ोसी राज्य को एक इंच जमीन भी न देने का संकल्प व्यक्त किया गया था। सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में महाराष्ट्र द्वारा “खड़े किए गए” सीमा विवाद की आलोचना की गई।
महाराष्ट्र विधानसभा : विपक्ष के सदस्यों ने किया प्रदर्शन, शिंदे सरकार पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के सदस्यों ने मंगलवार को विधानसभा परिसर में ‘वरकारियों’ (भगवान विट्ठल के पंढरपुर स्थित मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों) की तरह पदयात्रा निकालकर प्रदर्शन किया और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया।
पिछली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहने के दौरान कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार के भूमि ‘नियमितीकरण’ आदेश पर उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्ष द्वारा हंगामा कर कार्यवाही बाधित किए जाने के बाद सोमवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया था।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने पिछले हफ्ते सत्तार को एक नोटिस जारी किया था, जिन्होंने दीवानी अदालत के आदेश के विरुद्ध सार्वजनिक ‘गायरान’ (पशुओं के चरने के लिए जमीन) के लिए आरक्षित भूमि के कब्जे को एक निजी व्यक्ति के पक्ष में ‘नियमित’ करने का आदेश दिया था।
इससे पहले, विपक्षी दलों के सदस्यों ने मुख्यमंत्री शिंदे के इस्तीफे की भी मांग की थी, जब 14 दिसंबर को उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री रहते हुए झुग्गी निवासियों के लिए आरक्षित जमीन को निजी व्यक्तियों को आवंटित करने के शिंदे के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
इस संबंध में शिंदे ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और 22 दिसंबर को उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री द्वारा हाल में जारी किए गए नियमितीकरण के आदेश को वापस लेने की बात स्वीकारते हुए कहा कि वह इस मामले को बंद मान रहा है।
मंगलवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने विधान भवन परिसर में उसी तरह पैदल मार्च निकाला, जिस तरह से ‘वरकारी’ पंढरपुर शहर में भगवान विठ्ठल के मंदिर की तीर्थ यात्रा के लिए मार्च निकालते हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे और सत्तार सहित राज्य के कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए घंटी बजाई और नारे लगाए। विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार, शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे, कांग्रेस नेता नाना पटोले और अन्य लोग प्रदर्शन में शामिल हुए।