न्याय देने में महाराष्ट्र देश में नंबर एक, जानिए दूसरे और तीसरे पर कौन, सबसे खराब किस राज्य की स्थिति

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 7, 2019 18:10 IST2019-11-07T18:10:27+5:302019-11-07T18:10:27+5:30

छोटे राज्यों (जहां की आबादी एक करोड़ से कम है) में न्याय देने के मामले में गोवा शीर्ष स्थान है। दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: सिक्किम और हिमाचल प्रदेश रहे। ‘भारत न्याय रिपोर्ट-2019’ सार्वजनिक रूप से न्याय प्रदान करने के चार स्तंभों पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर उपलब्ध सरकारी संस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित है।

Maharashtra is number one in delivering justice, know who is second and third, which state is the worst | न्याय देने में महाराष्ट्र देश में नंबर एक, जानिए दूसरे और तीसरे पर कौन, सबसे खराब किस राज्य की स्थिति

रिपोर्ट के मुताबिक देश में न्यायाधीशों के कुल 18,200 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 23 फीसदी रिक्त हैं।

Highlightsपूर्व न्यायाधीश एमबी लोकुर ने कहा कि इससे रेखांकित होता है कि न्याय प्रदान करने की प्रणाली में बहुत गंभीर खामी है।उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि न्यायपालिका और सरकार इन प्रासंगिक नतीजों पर संज्ञान लेंगी।

टाटा न्यास की रिपोर्ट के मुताबिक लोगों को न्याय देने के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष पर है जबकि केरल, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाण क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवे स्थान पर हैं।

छोटे राज्यों (जहां की आबादी एक करोड़ से कम है) में न्याय देने के मामले में गोवा शीर्ष स्थान है। दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: सिक्किम और हिमाचल प्रदेश रहे। ‘भारत न्याय रिपोर्ट-2019’ सार्वजनिक रूप से न्याय प्रदान करने के चार स्तंभों पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर उपलब्ध सरकारी संस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट को जारी करते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एमबी लोकुर ने कहा कि इससे रेखांकित होता है कि न्याय प्रदान करने की प्रणाली में बहुत गंभीर खामी है।

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, ‘‘ यह पथप्रदर्शक अध्ययन है जिसके नतीजों से साबित होता है कि निश्चित तौर पर हमारे न्याय प्रदान करने की प्रणाली में बहुत गंभीर खामी है। हमारी न्याय प्रणाली की चिंताओं को मुख्यधारा में लाने का यह सर्वोत्तम प्रयास है जो समाज के हर हिस्से, शासन और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि न्यायपालिका और सरकार इन प्रासंगिक नतीजों पर संज्ञान लेंगी और राज्य भी पुलिस प्रबंधन, कारागार, फॉरेंसिक, न्याय प्रदान करने की प्रणाली और कानूनी सहायता के अंतर को पाटने के लिए तुरंत कदम उठाएंगे एवं रिक्तियों को भरेंगे।’’

यह रैंकिंग टाटा न्याय की पहल है जिसे ‘सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल, दक्ष, टीआईएसएस, कानूनी नीति के लिए प्रयास एवं विधि केंद्र के सहयोग से तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में न्यायाधीशों के कुल 18,200 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 23 फीसदी रिक्त हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ न्याय के इन स्तंभों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। पुलिस में केवल सात फीसदी महिलाएं कार्यरत हैं। जेलों में क्षमता के मुकाबले 114 फीसदी कैदी हैं। इनमें से 68 प्रतिशत विचाराधीन हैं जिनके मामलों की जांच की जा रही है या सुनवाई चल रही है।

बजट के मामले में अधिकतर राज्य केंद्र की ओर से आवंटित बजट का इस्तेमाल नहीं कर पाते, पुलिस, कारावास और न्यायपालिका का खर्च बढ़ने के बावजूद उस गति से राज्य का खर्च नहीं बढ़ा है।’’ इसमें कहा गया, ‘‘कुछ स्तंभ कम बजट की वजह से प्रभावित है।

भारत में मुफ्त कानूनी सहायता पर प्रति व्यक्ति खर्च मात्र 75 पैसे प्रति वर्ष है जबकि 80 फीसदी आबादी मुफ्त कानूनी सहायता पाने की अर्हता रखती है। रिपोर्ट में राज्य की ओर से न्याय देने की क्षमता का आकलन करने के लिए चार स्तभों के संकेतकों का इस्तेमाल किया गया है। ये हैं अवसंरचना, मानव संसाधन, विविधता (लिंग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग), बजट, काम का दबाव और गत पांच साल की प्रवृत्ति। 

देश के सबसे खराब तीन राज्य

राज्य                    स्कोर (10 में)

उत्तर प्रदेश           3.32

त्रिपुरा                   3.42

अरुणाचल प्रदेश   3.43

 

Web Title: Maharashtra is number one in delivering justice, know who is second and third, which state is the worst

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