महाराष्ट्रः विधानसभा में 'वंचित' को नजरअंदाज किया तो 70 सीट गंवाएगी आघाड़ी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 25, 2019 08:08 AM2019-05-25T08:08:27+5:302019-05-25T08:08:27+5:30
आघाड़ी ने राज्य भर में 40 लाख वोट लेकर तीसरे पर्याय के रूप में खुद को सिद्ध जरूर किया है, लेकिन नागपुर में आघाड़ी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है.
नागपुर, 24 मई: पिछले एक साल से ठीक चुनाव के समय वंचित बहुजन आघाड़ी राज्य में तीसरे पर्याय के रूप में आगे आ रही थी. वंचित बहुजन आघाड़ी की सभाओं में भारी भीड़ को देखते हुए इस चुनाव में वंचित आघाड़ी के उम्मीदवारों पर लोगों का विशेष ध्यान था. आघाड़ी ने राज्य भर में 40 लाख वोट लेकर तीसरे पर्याय के रूप में खुद को सिद्ध जरूर किया है, लेकिन नागपुर में आघाड़ी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है.
नागपुर के उम्मीदवार सागर डबरासे ने 26 हजार वोट हासिल किए हैं लेकिन आंबेडकरी आंदोलन का केंद्र बिंदु रहे नागपुर शहर में मिले वोट समाधान करने लायक नहीं हैं. लोकसभा चुनाव के पहले भारिप बहुजन महासंघ के नेता एड. प्रकाश उर्फ बालासाहब आंबेडकर और एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी की वंचित बहुजन आघाड़ी की सभाओं को पूरे राज्य भर में मिल रहे प्रतिसाद को देखकर वंचित आघाड़ी राज्य में तीसरे पर्याय के तौर पर आगे आएगी, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही थी. ऐसा हुआ भी है.
औरंगाबाद से वंचित बहुजन आघाड़ी के एकमात्र उम्मीदवार को चुनाव में जीत भी मिली है. आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर को दो लोकसभा क्षेत्रों से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वंचित के उम्मीदवारों ने अच्छे वोट लिए हैं. अनेक उम्मीदवारों ने 1 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए. इसके चलते राज्य में वंचित बहुजन आघाड़ी ने अपना दबाव निर्माण किया है, यह भी वस्तुस्थिति है.
आंबेडकरी आंदोलन का गढ़ माने जाने वाले नागपुर में वंचित बहुजन आघाड़ी पर सभी का ध्यान लगा था. उसके साथ एमआईएम होने से मुस्लिम समाज का भी बड़े पैमाने पर समर्थन मिलने की अपेक्षा थी. इसीलिए नागपुर में वंचित आघाड़ी का उम्मीदवार कितने वोट लेगा? इस ओर सभी की नजरें लगी थीं.