महाराष्ट्र, हरियाणा चुनाव: बीजेपी के आगे फीका रहा कांग्रेस का 'चुनाव प्रचार', प्रियंका गांधी समेत कई टॉप नेता रहे नदारद
By अभिषेक पाण्डेय | Published: October 20, 2019 10:56 AM2019-10-20T10:56:20+5:302019-10-20T10:56:20+5:30
Maharashtra, Haryana Assembly Polls 2019: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान में बीजेपी के आगे फिसड्डी रही कांग्रेस
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान शनिवार को समाप्त हो गया। 21 अक्टूबर को होने वाले इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के प्रचार में सत्तारूढ़ बीजेपी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर बीस पड़ती नजर आई।
ये विधानसभा चुनाव भले ही 2019 लोकसभा चुनावों के बाद से बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा चुनावी मुकाबला हैं, लेकिन इन चुनावों के प्रचार के दौरान बीजेपी के आगे कांग्रेस और खासतौर पर नेहरू-गांधी परिवार का प्रचार फीका नजर आया।
बीजेपी ने इन चुनाव प्रचार के लिए पीएम मोदी, अमित शाह, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समेत 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी और लगभग इन सभी ने इन दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार किया। अगर बीजेपी के स्थानीय नेताओं को भी मिला लिया जाए तो उसने इन दोनों राज्यों की लगभग सभी सीटों पर चुनावी रैलियां कीं।
पीएम मोदी की 25 रैलियों के मुकाबले, राहुल ने की 7 रैलियां
चुनाव प्रचार में बीजेपी के दमखम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां पीएम मोदी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में 25 रैलियों को संबोधित किया तो वहीं राहुल गांधी कांग्रेस के लिए इन दोनों राज्यों में सात रैलियां ही कर पाए।
वहीं 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान तूफानी अंदाज में प्रचार करने वाली राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी इन दोनों राज्यों के चुनाव प्रचार से दूर रहीं।
सोनिया और प्रियंका ने नहीं की एक भी रैली
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को शुक्रवार को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करना था, लेकिन वह कुछ अपरिहार्य कारणों से ऐसा नहीं कर सकीं और उनकी जगह राहुल गांधी ने रैली को संबोधित किया। 63 वर्षीय सोनिया स्वास्थ्य कारणों से अगस्त में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से ही चुनावी रैलियों से दूर ही रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का मानना है कि अंदरूनी उठापठक और कुछ बड़े नेताओं के बीच मनमुटाव फीके चुनाव प्रचार की वजह रहा।
उदाहरण के लिए हरियाणा चुनावों से ठीक पहले पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ दी थी और इन चुनावों में उन्होंने दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी का समर्थन किया।
वहीं महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने सार्वजनिक तौर पर पार्टी नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की थी और खुद को चुनाव प्रचार से दूर रखा।