महाराष्ट्र सरकार बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों के लिए घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम प्रायोगिक आधार पर शुरू करेगी

By भाषा | Updated: June 30, 2021 12:53 IST2021-06-30T12:53:08+5:302021-06-30T12:53:08+5:30

Maharashtra government to start door-to-door vaccination program on pilot basis for people who cannot get out of bed | महाराष्ट्र सरकार बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों के लिए घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम प्रायोगिक आधार पर शुरू करेगी

महाराष्ट्र सरकार बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों के लिए घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम प्रायोगिक आधार पर शुरू करेगी

मुंबई, 30 जून महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि वह जल्द बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों को घर जाकर कोविड रोधी टीका लगाने का प्रायोगिक आधार पर कार्यक्रम शुरू करेगी और इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार नहीं करेगी।

राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ को बताया कि परीक्षण और प्रायोगिक आधार पर घर-घर जाकर टीकाकरण करने की पहल सबसे पहले पुणे जिले में शुरू की जाएगी।

कुंभकोणी ने बताया, “हम घर जा कर टीकाकरण शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र के पास नहीं भेजेंगे। हम (राज्य सरकार) अपना फैसला खुद लेंगे। हम पुणे जिले में प्रयोग के आधार पर इस (घर जा कर टीकाकरण करने की) संभावना को देखेंगे।”

राज्य सरकार ने मंगलवार को अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि इसके लिए कुछ शर्तें लगाई जाएंगी जैसे लाभार्थी के परिवार से लिखित सहमति ली जाएगी और परिवार के डॉक्टर से प्रमाण पत्र लिया जाएगा जिसमें वह टीके का किसी भी तरह का प्रतिकूल प्रभाव होने पर जिम्मेदारी लेगा। अदालत ने बुधवार को कहा कि डॉक्टर से प्रमाण पत्र मांगने की शर्त ‘अव्यवहारिक’ है।

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, “हम आशा और विश्वास करते हैं कि आप (सरकार) डॉक्टर को प्रमाणित करने के लिए जोर नहीं देंगे। कैसे एक डॉक्टर जिम्मेदारी ले सकता है? ऐसी अव्यवहारिक शर्त मत रखिए।”

अदालत दो अधिवक्ताओं - धृति कपाड़िया और कुणाल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार को 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, बिस्तर से उठ नहीं सकने वाले लोगों के लिए घर-घर टीकाकरण शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

सरकार ने मंगलवार को दाखिल अपने हलफनामे में कहा था कि उसे घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीका लगाने का कार्यक्रम शुरू करने से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होगी।

इस पर अदालत ने कहा था कि मंजूरी की जरूरत क्यों है जब केरल, झारखंड, बिहार ने पहले ही घर घर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर दिया है।

उच्च न्यायालय ने बुधवार को मीडिया में आई कुछ खबरों को रेखांकित किया कि जिसमें कहा गया है कि त्रिपुरा के पर्वती क्षेत्र में डॉक्टर और नर्सें टीका लगाने के लिए लोगों के घर जा रहे हैं।

अदालत ने इस मामले को आगे की सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को न्यायाधीश के कक्ष में सूचीबद्ध किया है।

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