Exclusive: शिक्षा को लेकर महाराष्ट्र सरकार का दोहरा मापदंड, उच्च शिक्षा पर स्थिति स्पष्ट, स्कूलों को लेकर फैल रही हैं अफवाहें

By डॉ. आशीष दुबे | Published: June 20, 2020 06:57 AM2020-06-20T06:57:10+5:302020-06-20T07:13:24+5:30

महाराष्ट्र सरकार ने उच्च शिक्षा पर स्थिति स्पष्ट कर दी है, लेकिन स्कूली शिक्षा को लेकर चुप्पी है। जीआर के अभाव में अफवाह और भ्रम फैल रही है।

Maharashtra government issued GR on higher education silence on school education | Exclusive: शिक्षा को लेकर महाराष्ट्र सरकार का दोहरा मापदंड, उच्च शिक्षा पर स्थिति स्पष्ट, स्कूलों को लेकर फैल रही हैं अफवाहें

महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsमहाराष्ट्र सरकार उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग को लेकर स्पष्ट नीति अपना रही है।जबकि महाराष्ट्र में स्कूल शुरू करने व फीस को लेकर रुख अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है।इसे देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि सरकार शिक्षा को लेकर दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है।

नागपुर। राज्य सरकार उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग को लेकर स्पष्ट नीति अपना रही है, जबकि स्कूल शुरू करने व फीस को लेकर रुख अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है, जिससे लगातार पालक व स्कूल प्रबंधन के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। साथ ही फीस को लेकर कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं। इसे देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि सरकार शिक्षा को लेकर दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है।

दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार की ओर से उच्च व तकनीकी शिक्षा को लेकर गाइडलाइन के बाद जीआर भी जारी किया जा रहा है। शुक्रवार को एक जीआर जारी कर अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का आयोजन नहीं करने की घोषणा की है।

इस संबंध में जारी जीआर में कहा गया है कि कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए परीक्षा ले पाना संभव नहीं है। यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा देना चाहता है तो उससे लिखित आवेदन लिया जाए। साथ ही उसकी परीक्षा लेने की व्यवस्था की जाए। इसे देखते हुए निजी बिना अनुदानित स्कूलों के संचालक व मुख्याध्यापक सरकार से मांग कर रहे हैं कि गाइडलाइन की बजाय शासन अध्यादेश (जीआर) जारी किया जाए ताकि सारी स्थिति स्पष्ट हो सके। लेकिन अब तक कोई ठोस पहल शालेय शिक्षा विभाग की ओर से नहीं की गई है।

सरकार व शिक्षा विभाग की चुप्पी के पीछे क्या वजह

'लोकमत समाचार' ने इस मुद्दे पर राज्य की शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ और विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वंदना कृष्णा से संपर्क किया, लेकि न उनकी ओर से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार व शिक्षा विभाग की चुप्पी के पीछे क्या वजह है।

सरकार व वरिष्ठ अधिकारियों से किसी तरह का कोई ठोस आदेश नहीं मिल पाने से विभाग के शिक्षण उपसंचालक, प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षणाधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सरकार व विभाग की ओर से जो भी निर्देश मिल रहे हैं उन्हीं का पालन किया जाएगा। गाइडलाइन की बजाय जीआर क्यों नहीं जारी किया जा रहा, इस सवाल पर यह अधिकारी भी खामोश हैं।

मासूमों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

निजी व बिना अनुदानित स्कूल प्रबंधन के संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि पिछले दिनों सरकार ने जुलाई माह से चरणबद्ध ढंग से स्कूल शुरू करने के दिशानिर्देश जारी किए थे। कक्षा पहली व दूसरी के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने की बात कही गई है। सवाल यह है कि क्या ऑनलाइन शिक्षा का बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ पर बुरा असर नहीं होगा

जीआर से स्पष्ट होगी स्थिति

संस्था संचालक संगठनों के पदाधिकारियों के मुताबिक सरकार जीआर जारी करे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। जीआर में दिए गए निर्देश स्कूल व पालकों को मानना बंधनकारक होगा। इससे भ्रम की स्थिति नहीं होगी। पालक व स्कूल के बीच पिछले दो माह से बना गतिरोध भी खत्म हो जाएगा।

दूसरे राज्यों की तरह यहां स्पष्ट रुख क्यों नहीं

संस्था संचालक व शालाओं के मुख्याध्यापकों ने देश के दूसरे राज्यों की सरकारों द्वारा स्कूल शुरू करने व फीस को लेकर गाइडलाइन के साथ ही आदेश जारी किए हैं। इससे उन राज्यों में किसी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं है। इसी तरह की ठोस भूमिका राज्य सरकार क्यों नहीं ले रही है। जब तक सरकार अपना रुख स्पष्ट नहीं करेगी, तब तक पालक व स्कूल दोनों को ही दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

Web Title: Maharashtra government issued GR on higher education silence on school education

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