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महाराष्ट्र संकट: बीजेपी के वकील रोहतगी बोले- गवर्नर का आदेश रद्द नहीं किया जा सकता, राज्यपाल कोर्ट के प्रति जवाबदेह नहीं

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: November 24, 2019 12:29 IST

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी है कि राज्यपाल का आदेश रद्द नहीं किया जा सकता है।

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महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी है कि राज्यपाल का आदेश रद्द नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह दलील भी दी कि राज्यपाल की जवाबदेही अदालत के प्रति नहीं होती है। 

वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कुछ बीजेपी और निर्दलीय विधायकों की ओर से न्यायालय में पेश हुए। उन्होंने कहा कि यह याचिका बंबई उच्च न्यायालय में दायर होनी चाहिए।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के वकीलों की ओर लगातार शक्ति प्रदर्शन को लेकर मांग की गई। कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से फ्लोर टेस्ट की मांग की। एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि महाराष्ट्र में आज ही फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया जाए। 

इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला उच्चतम न्यायालय पहुंचे। उच्चतम न्यायालय की पीठ देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देने वाली शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करने के लिए बैठी। उच्चतम न्यायालय ने तीनों पार्टियों की इस याचिका पर विचार करने के लिए सुनवाई शुरू की कि उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के साथ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाए।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल शिवसेना की तरफ से पेश हुए और उन्होंने रविवार के दिन न्यायाधीशों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगने के साथ बहस शुरू की। कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में कहा, चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया, तीनों दलों की चुनाव के बाद गठबंधन की कोशिशें चल रही है। कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि हम कल बहुमत साबित कर देंगे। महाराष्ट्र के लोग सरकार चाहते हैं, देरी ना की जाए।

शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने शनिवार रात उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर बीजेपी के देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया। साथ ही, विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए तुरंत ‘शक्ति परीक्षण’ कराने का भी अनुरोध किया है। इस याचिका पर उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ सुनवाई कर रही है। 

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के पास सरकार बनाने का मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इसमें दोराय नहीं है कि शक्ति परीक्षण बहुमत साबित करने का सबसे अच्छा तरीका है। सिब्बल ने कहा कि यदि फड़नवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है।

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