महाराष्ट्र चुनाव: इन दो सीटों पर बिना लड़े ही बीजेपी-शिवसेना ने मान ली है हार? कांग्रेस के दो युवा नेता हैं मैदान में
By अभिषेक पाण्डेय | Published: October 16, 2019 04:03 PM2019-10-16T16:03:00+5:302019-10-16T16:03:00+5:30
Dhiraj and Amit Deshmukh: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में लातूर रूरल और लाातूर सिटी सीटों से विलासराव देशमुख के दो बेटे धीरज और अमित हैं मैदान में
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को भले ही आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भारी जीत का भरोसा है, लेकिन ऐसा लगता है राज्य में दो ऐसी सीटें हैं, जहां उन्होंने बिना लड़े ही लगभग हथियार डाल दिए हैं।
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ये सीटे हैं लातूर रूरल (ग्रामीण) और लातूर सिटी (शहरी), इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के पूर्व सीएम दिवंगत विलासराव देशमुख के बेटे धीरज और अमित देशमुख चुनाव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
लातूर की दो सीटों पर बीजेपी-शिवसेना की राह मुश्किल
39 वर्षीय धीरज जहां लातूर ग्रामीण सीट से अपना राजनीतिक डेब्यू करने जा रहे हैं तो वहीं उनके बड़े भाई और दो बार के विधायक अमित लातूर सिटी से चुनाव लड़ रहे हैं।
धीरज चुनावी भाषणों में अपने हाव-भाल और बोलने के अंदाज की वजह से पहले ही चर्चित हो चुके हैं। युवा कांग्रेस के नेताओं के मुताबित धीरज मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में धाराप्रवाह बोल लेते हैं और इसीलिए मतदाताओं पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं।
लातूर की दो सीटों पर देशमुख परिवार का वर्चस्व
देशमुख परिवार इस इलाके में चीनी उद्योग नियंत्रित करता है। धीरज के चाचा दिलीप राज्य के पूर्व राज्य मंत्री रहे हैं।
लातूर सीट को कांग्रेस के लिए सुरक्षित माना जाता है। 1995 को छोड़कर कांग्रेस ने हर बार यहां जीत हासिल की है। बॉलीवुड स्टार और धीरज के बड़े भाई रितेश देशमुख और भाभी जेनेलिया डिसूजा भी उनके लिए प्रचार कर रहे हैं। लातूर रूरल से धीरज के मुख्य प्रतिद्वंद्वंदी शिवसेना के सचिन देशमुख हैं।
वहीं लातूर सिटी से कांग्रेस के अमित देशमुख के खिलाफ बीजेपी ने शैलेश लाहोटी को उतारा है। लातूर सिटी में कांग्रेस ने दो बार जीत हासिल की है।
लातूर में प्रचार से कतरा रही शिवसेना-बीजेपी!
रोचक बात ये है कि जहां पूरे महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने अपनी ताकत झोंक रखी है, तो वहीं लातूर में शिवसेना के सचिन ने अब तक ना तो एक भी बड़ी रैली किया और ना ही कोई बड़ा प्रचार किया है। सचिन इससे पहले बीजेपी में थे और हाल ही में वह शिवसेना से जुड़े थे।
इसकी वजह बताते हुए उनका दावा है कि उन्हें लाउडस्पीकर नहीं पसंद हैं और उनके पास बड़ी रैलियां आयोजित करने की क्षमता नहीं है। इसलिए उनके प्रचार का तरीका अलग है, अब जिसकी जो मर्जी निष्कर्ष निकाले।
सोशल मीडिया पर ऐक्टिव धीरज पूछ रहे हैं कि क्या शिवसेना बता सकती है कि उसके उम्मीदवार प्रचार क्यों नहीं कर रहे हैं। वह अपने प्रचार अभियान में किसानों की आत्महत्या, कर्जमाफी ना होने जैसे मुद्दों पर बीजेपी सरकार को घेर रहे हैं।
वहीं मुंबई में रहकर और लातूर से चुनाव लड़ने के लिए आलोचकों के निशाने पर रहने वाले अमित लातूर में पानी की समस्या को लेकर फड़नवीस सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार ने यहां पानी की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
पिछले दो सालों में कांग्रेस ने लातूर नगर पालिका और जिला परिषद के चुनाव पहली बार हारे हैं, और इसका दोष अमित के नेतृत्व पर मढ़ा जा रहा है।
अमित के खिलाफ पार्टी की अंदरूनी राजनीति ने राज्य स्तर पर उनके विकास को प्रभावित किया है और प्रदेश कांग्रेस में उन्हें कोई भूमिका नहीं दी गई है।