महाराष्ट्र: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्यकर्मियों के 35 फीसदी पद खाली, 8 फीसदी से अधिक डॉक्टरों की कमी

By विशाल कुमार | Published: April 6, 2022 07:41 AM2022-04-06T07:41:31+5:302022-04-06T07:46:45+5:30

आरटीआई रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य में स्वीकृत पीएचसी की 13 प्रतिशत कमी है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2,116 स्वीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 277 का निर्माण होना बाकी है। साथ ही, पीएचसी के तहत आने वाले 11,496 स्वीकृत उप-केंद्रों में से 823 या 7.15 प्रतिशत अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं।

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महाराष्ट्र: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्यकर्मियों के 35 फीसदी पद खाली, 8 फीसदी से अधिक डॉक्टरों की कमी

Highlightsमहाराष्ट्र में कुल 1839 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) कार्यरत हैं।पीएचसी में 4,036 स्वीकृत पदों के मुकाबले 337 या 8.34 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी थी।अधिकांश केंद्रों में चिकित्सा अधिकारी या तो 9-10 महीने के लिए अनुबंध पर लाए जाते हैं या बीएएमएस डॉक्टर हैं।

मुंबई:महाराष्ट्र में कुल 1839 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) कार्यरत हैं लेकिन उनमें स्वीकृत एक तिहाई पद खाली हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से यह जानकारी सामने आई है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर, 2021 तक पीएचसी में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए स्वीकृत 21,496 पदों में से 7,507 या 35 प्रतिशत पद खाली पड़े थे।

पीएचसी में 4,036 स्वीकृत पदों के मुकाबले 337 या 8.34 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी थी। यह 2005 के बिल्कुल विपरीत था, जब सभी 3,157 डॉक्टर पद भरे गए थे। 

यही कारण है कि, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों पर दबाव अधिक है, जिसके कारण लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है, रोगी की संतुष्टि कम होती है और निजी स्वास्थ्य देखभाल पर निर्भरता में वृद्धि होती है।

इसके अलावा, अधिकांश पीएचसी में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। अधिकांश केंद्रों में चिकित्सा अधिकारी या तो 9-10 महीने के लिए अनुबंध पर लाए जाते हैं या बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) डॉक्टर हैं।

राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक पीएचसी में 15 कर्मचारी होने चाहिए, जिनमें सफाई और एम्बुलेंस सेवाएं शामिल हैं, जिन्हें अनुबंधित किया गया है।

पिछले जुलाई में राज्य के 17 जिलों में एनजीओ जन आरोग्य अभियान (जेएए) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वेक्षण किए गए पीएचसी के आधे (51 प्रतिशत) में केवल एक स्थायी चिकित्सा अधिकारी था।

आरटीआई ने आगे खुलासा किया है कि राज्य में स्वीकृत पीएचसी की 13 प्रतिशत कमी है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2,116 स्वीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 277 का निर्माण होना बाकी है। साथ ही, पीएचसी के तहत आने वाले 11,496 स्वीकृत उप-केंद्रों में से 823 या 7.15 प्रतिशत अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं।

वास्तव में, कई मौजूदा पीएचसी कर्मचारियों की कमी के कारण कार्य नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, नंदगांव टी. मनोर पीएचसी 2006-07 में 4.88 लाख रुपये के साथ स्थापित किया गया था। लेकिन यह नवजात शिशुओं के टीकाकरण के लिए सप्ताह में केवल दो बार ही खुलता है। इससे अन्य मरीज मेडिकल इमरजेंसी में 4-6 किमी का सफर तय करने को मजबूर हैं।

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