मध्य प्रदेश: मिड-डे मील के नाम पर नमक रोटी और नहर का पानी
By कोमल बड़ोदेकर | Published: January 9, 2018 03:06 PM2018-01-09T15:06:06+5:302018-01-09T15:28:46+5:30
प्राथमिक शिक्षा के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति अपने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र से भी ज्यादा खराब हो गई है।
सरकारी प्राथमिक स्कूल की बदहाली एक नई तस्वीर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से सामने आई है। छतरपुर के सूरजपुर गांव के एक शासकीय स्कूल की बदहाल बुनियादी सुविधाओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बच्चों को मिड-डे-मील के नाम पर रोटी के साथ महज नमक परोसा जा रहा है। इतना ही नहीं ये बच्चें स्कूल के पास से गुजरने वाली नहर का पानी पीने को मजबूर है।
इस मामले में जब जिला कलेक्टर रमेश भंडारी से बात की गई तो उन्होंने जांच का हवाला देते हुए कहा कि अगर ऐसी कोई समस्या पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं मध्य प्रेदश की शिक्षा मंत्री ने इस तरह के मामलों के लिए एक जांच टीम का गठन करने की बात कही है।
Madhya Pradesh: Children at a school study in open, drink canal water, eat salt & chapati in mid-day meal in Chhatarpur's Surajpura pic.twitter.com/Wp3TOyfVYE
— ANI (@ANI) January 9, 2018
I sent an inquiry team there. They found irregularities in mid-day meal. We will take actions. But there is no problem of water. Children drink water from tube well sanctioned in the school premises: Ramesh Bhandari, Chhatarpur DM pic.twitter.com/EjgFl9COh3
— ANI (@ANI) January 9, 2018
I spoke to Chhatarpur collector. People responsible for this irregularity have been removed. A team has been formed to keep vigilance in all districts: Archana Chitnis, Minister of Women and Child Development #MadhyaPradeshpic.twitter.com/IYq7eSiHIn
— ANI (@ANI) January 9, 2018
बता दें कि प्राथमिक शिक्षा के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति अपने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र से भी ज्यादा खराब हो गई है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते छह सालों में प्रदेश के सवा लाख स्कूलों में 25 लाख से ज्यादा बच्चों स्कूल छोड़ दिया है। साल 2011 से 2016 दौरान प्रारंभिक शिक्षा में नामांकन में समग्र रूप से 26.44 लाख की गिरावट हुई है।
कक्षा एक से पांच तक का नामांकन अनुपात 106.58 लाख से घटकर वर्तमान में 80.94 लाख ही रह गया है। अगर बाकी राज्यों से तुलना करें तो पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र से बहुत ज्यादा बुरी स्थिति मध्यप्रदेश की हो गई है।