मनमोहन सिंह नहीं नरेन्द्र मोदी हैं एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर!
By राजेंद्र पाराशर | Published: January 12, 2019 05:29 AM2019-01-12T05:29:10+5:302019-01-12T05:29:10+5:30
द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म रिलीज के पहले ही विवादों में घिरा था। फिल्म द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहानी है यूपीए-1 और यूपीए-2 के दौरान प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ( अनुपम खेर ) के कार्यकाल की। लेकिन इस फिल्म के असली नायक हैं पत्रकार संजय बारू (अक्षय खन्ना)।
मध्यप्रदेश की राजधानी में आज रिलीज हुई फिल्म द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज रही। सरकार के विधि मंत्री ने मनमोहन सिंह को आर्थिक मामलों का जानकारी बनाया और कहा कि मनमोहन नहीं,बल्कि नरेन्द्र मोदी हैं एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर।
राजधानी भोपाल में आज सुबह से ही फिल्म द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर रिलीज होने के चलते पुलिस ने सिनेमाघरों पर सुरक्षा के इंतजाम कड़े किए थे। सिनेमाघरों पर भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ रही। इस बीच राजनीति बयानबाजी का दौर भी गर्म रहा। फिल्म को लेकर मीडिया से चर्चा करते हुए राज्य के विधि मंत्री पी।सी।शर्मा ने कहा कि मनमोहन सिंह तो आर्थिक मामलों के अच्छे जानकार रहे हैं। वे एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर नहीं हो सकते हैं, बल्कि नरेन्द्र मोदी एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर हैं।
मध्य प्रदेश के भी कई जिलों में फिल्म को लेकर कड़ा विरोध देखने को मिला। इंदौर में जमकर हंगामा हुआ तो राजधानी भोपाल में भी भाजपा नेता हितेश वाजपेई ने लोगों से फिल्म देखने की अपील की और कहा की फिल्म के माध्यम से गांधी नेहरू परिवार के असली चेहरे को समझा जा सकता है। देश के ईमानदार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का किस तरीके से इस्तेमाल किया गया बखूबी बताया गया है।
क्या द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म की कहानी
द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहानी है यूपीए-1 और यूपीए-2 के दौरान प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ( अनुपम खेर ) के कार्यकाल की। लेकिन इस फिल्म के असली नायक हैं पत्रकार संजय बारू (अक्षय खन्ना)। कहानी शुरू होती है 2004 में सोनिया गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए जाने से। उसके बाद एंट्री होती है संजय बारू की जिन्हें पीएम अपना प्रेस सेक्रेटरी बनाना चाहते हैं। संजय बारू पीएमओ में आने के लिए मनमोहन सिंह के सामने दो शर्तें रखते हैं जिन्हें मान लिया जाता है। संजय बारू पीएम के मीडिया एडवायजर बनाए जाते हैं और उसके बाद शुरू होती है पार्टी और पीएमओ में संघर्ष की कभी ना खत्म होने वाली दास्तां।