पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी, ताकि देश से बाहर जा न सके
By भाषा | Published: August 21, 2019 06:42 PM2019-08-21T18:42:01+5:302019-08-21T18:42:01+5:30
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम उच्चतम न्यायालय से राहत पाने में बुधवार को दो बार नाकाम रहे। न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग वाली चिदंबरम की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया तथा मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की।
सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के विरुद्ध लुक आउट परिपत्र जारी किया है ताकि उन्हें देश से बाहर जाने से रोका जा सके। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि एजेंसी ने सभी हवाई अड्डों को सतर्क कर दिया है ताकि चिदंबरम को कोई उड़ान पकड़ने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि परिपत्र हाल में जारी किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के विरुद्ध एक नया लुक आउट परिपत्र जारी किया है।
Sources: Central Bureau of Investigation (CBI) issues lookout notice against Congress leader and former Finance Minister #PChidambarampic.twitter.com/cdGlmg0uxR
— ANI (@ANI) August 21, 2019
आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तारी के खतरे का सामना कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम उच्चतम न्यायालय से राहत पाने में बुधवार को दो बार नाकाम रहे। न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग वाली चिदंबरम की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया तथा मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की।
संप्रग सरकार में 2004 से 2014 के दौरान गृह मंत्री और वित्त मंत्री रहे चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मंगलवार के फैसले पर रोक की मांग की है, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और सीबीआई और ईडी की तरफ से दायर मामलों में गिरफ्तारी की राह आसान कर दी।
उनकी याचिका का वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एम शांतनगौडर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष पहले बुधवार सुबह उल्लेख किया, जिसने इसे तत्काल सुनवाई पर विचार करने के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाने को कहा।
चिदंबरम का पक्ष रख रहे वकीलों की टीम को तत्काल सूचीबद्ध किये जाने पर जब किसी तरह की सूचना नहीं मिली तो सिब्बल ने भोजनावकाश के बाद बैठी उसी पीठ के सामने फिर से इसका उल्लेख किया। सिब्बल के साथ मौजूद अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं विवेक तन्खा और इंदिरा जयसिंह ने पीठ को बताया कि अब जांच एजेंसियों ने चिदंबरम के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया है जैसे कि वह “भागने वाले” हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका में खामियों को अभी-अभी दुरुस्त किया गया है और इसे “तत्काल सुनवाई के लिए आज सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता।” पीठ ने कहा, “याचिका को सूचीबद्ध किए बिना, हम मामले पर सुनवाई नहीं कर सकते।”
सिब्बल ने जब मामले पर आज ही सुनवाई करने की मांग दोहराई तो पीठ ने कहा, “माफ कीजिए श्रीमान सिब्बल। हम मामले पर सुनवाई नहीं कर सकते।” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मौखिक उल्लेख के आधार पर चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई का यह कह कर विरोध किया कि उनके पास कागजात नहीं हैं।
भोजनावकाश के बाद पीठ के फिर से बैठने पर सिब्बल ने कहा कि वह एक बार फिर सूचीबद्ध किए जाने के लिये मामले का उल्लेख कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इसे सूचीबद्ध किए जाने को लेकर रजिस्ट्री से कुछ भी पता नहीं चला है। पीठ ने उनसे कहा कि याचिका में कुछ खामियां थीं और रजिस्ट्री ने उसे इस बारे में सूचित किया है। जब सिब्बल ने कहा कि खामियों को दूर कर लिया गया है, तो पीठ ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) सूर्य प्रताप सिंह को बुलाया और खामियों के बारे में पूछा।
रजिस्ट्रार ने कहा कि खामियों को “अभी-अभी” दुरुस्त किया गया है और याचिका को उचित पीठ के समक्ष आवंटित किए जाने के लिये प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा। इस पर सिब्बल ने कहा कि मामले को आज सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश संविधान पीठ में बैठे हैं और वह चार बजे से पहले नहीं उठ पाएंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता जहां बार-बार मामले में सुनवाई किए जाने पर जोर दे रहे थे वहीं, पीठ ने उनसे कहा, “हमने मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखे जाने का पहले ही निर्देश दे दिया है।” पीठ ने कहा, “आम तौर पर मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किये जाने की खातिर प्रधान न्यायाधीश के समक्ष शाम में रखा जाता है लेकिन हमने सुबह में ही इसे तुरंत सीजेआई के पास भेज दिया।”
साथ ही पीठ ने कहा, “यह हमारा काम नहीं बल्कि यह रजिस्ट्री को करना है।” जब सिब्बल ने पीठ को याद दिलाया कि पूर्व में मौखिक उल्लेख के आधार पर लोगों को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया गया है तो पीठ ने कहा, “हमने रजिस्ट्री को निर्देश दिया और उसने पाया कि याचिका में कुछ खामियां थीं।”
सुनवाई के अंत में सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम यह शपथ पत्र देने के लिए तैयार हैं कि वह नहीं भागेंगे लेकिन पीठ ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और सुनवाई समाप्त कर दी। सीबीआई और ईडी की तरफ से पेश हुए मेहता ने सुबह में पीठ को बताया कि यह धनशोधन का “काफी बड़ा” मामला है।
मेहता की सहायता कर रहे एक विधि अधिकारी ने कहा, “हम चिदंबरम के किसी भी कदम का विरोध करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।” सिब्बल ने शीर्ष अदालत को बताया कि चिदंबरम की याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा कि चिदंबरम को सीबीआई और ईडी की ओर से दायर आईएनएक्स मामले में एक साल से अधिक वक्त तक गिरफ्तारी से संरक्षण दिया गया। सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने चिदंबरम को गिरफ्तारी से किसी भी तरह का संरक्षण देने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा।
सिब्बल ने कहा, “मामले को सुना जाना चाहिए। इस बीच मुझे (चिदंबरम) गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।” साथ ही उन्होंने अदालत को बताया कि जांच एजेंसियों ने चिदंबरम के घर के बाहर मंगलवार देर रात दो बजे एक नोटिस भी चिपकाया था कि उन्हें दो घंटे के भीतर उनके समक्ष पेश होना होगा। जब सिब्बल ने कहा कि उनकी याचिका पर रजिस्ट्री से नंबर डाला जा चुका है तो पीठ ने कहा, “आप सारी औपचारिकताएं पूरी करिए।”
INX Media case: Congress leader P Chidambaram’s (in file pic) lawyers Kapil Sibal, Salman Khurshid & Vivek Tankha were present before the CJI Ranjan Gogoi’s Constitution Bench when the Ayodhya Bench was rising for the day, but did not mention urgent listing of interim bail case. pic.twitter.com/8zvXTzUYvW
— ANI (@ANI) August 21, 2019
चिदंबरम को मंगलवार को बड़ा झटका लगा था जब उच्च न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मामले में उन्हें “मुख्य षड्यंत्रकारी” बताते हुए उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी और सीबीआई एवं ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने की राह आसान कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा, “महज इसलिए कि वह सांसद हैं उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत देना न्यायसंगत नहीं होगा” और प्रभावी जांच के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है तथा “इस तरह के मामले में जमानत देना समाज में गलत संदेश भेजेगा।”
सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें आईएनएक्स मीडिया समूह को 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में गड़बड़ियों का आरोप लगा था। इस दौरान चिदबंरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद 2018 में ईडी ने इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया था।