वीके सिंह एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: अस्तित्व पर खतरा मंडराता देख हुआ सपा-बसपा का गठबंधन
By स्वाति सिंह | Published: April 2, 2019 04:21 PM2019-04-02T16:21:01+5:302019-04-03T15:24:31+5:30
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने दोबारा जनरल वीके सिंह पर भरोसा जताया है। सोमवार को लोकमत न्यूज़ की टीम उनकी डासना की जनसभा में जा पहुंची और गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह विशेष बातचीत की। पढ़िए इंटरव्यू के चुनिंदा अंश:-
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से एक है। राजधानी दिल्ली से सटी होने के कारण गाजियाबाद सीट को वीआईपी का दर्जा मिला हुआ है। यही वजह है कि यहां चुनाव लड़ने के लिए लगभग सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंकती हैं।
लोकसभा चुनाव 2014 में वीके सिंह ने कांग्रेस के राज बब्बर को भारी मतों से हराया था। इस बार भी बीजेपी ने दोबारा वीके सिंह पर भरोसा जताया है। सोमवार को लोकमत न्यूज़ की टीम उनकी डासना की जनसभा में जा पहुंची और गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह विशेष बातचीत की। पढ़िए इंटरव्यू के चुनिंदा अंश:-
- लोगों में आपको टिकट मिलने पर गुस्सा देखने को मिला।इसके साथ ही पार्टी के अंदर भी कुछ लोगों ने विरोध जताया। पार्टी नेतृत्व ने आप पर भरोसा जताया है, क्या आप उनकी उम्मीदों पर खरे उतर पाएंगे?
पार्टी ने अपना भरोसा जताया है इसके लिए मैं बहुत शुक्रगुजार हूं। पार्टी ने मुझपर भरोसा इसलिए जताया है क्योंकि गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र में विकास हुआ है। इस क्षेत्र के हालात 2014 के बाद से बेहतर हुए हैं। जो लोग विरोध कर रहे हैं वह स्वार्थी हैं। यह विरोध, विरोध नहीं बल्कि मुखौटा है।
- यूपीए सरकार में मंत्री रहे के चंद्रशेखर राव ने कहा कि मनमोहन सरकार ने भी 11 बार सर्जिकल स्ट्राइक किया था, आपके सेना के कार्यकाल में कितनी बार सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी?
बहुत से काम सेनाएं करती हैं, लेकिन उसके बारे में बात नहीं करती।वह अपने रिस्क पर करती हैं और उस बारे में मैं बात नहीं करुंगा। जहां तक राजनीतिक निर्णय की बात होती है वहां मुझे नहीं लगता मनमोहन सिंह जी ने ऐसा कोई निर्णय लिया हो। हमारे इस साढ़े चार वर्ष के दौरान खासियत ये रही है कि हमारे प्रधानमंत्री जी की निर्णय शक्ति बहुत ज्यादा रही है। इसीलिए जो निर्णय लिया गया बहुत बेहतरीन लिया गया।
- गाजियाबाद लोकसभा सीट का गठन 2009 में हुआ था, उसके बाद से दो बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें बीजेपी ही जीती हैं, इस बार महागठबंधन से राह कितनी मुश्किल होगी?
हर चुनाव ना आसान होता है ना ही मुश्किल होता है उसे केवल चुनाव की तरह ही लेना चाहिए। लेकिन गठबंधन तब अच्छा होता होता है जब लोगों के विचार मिलते हों। उनकी विचारधारा एक हो।लेकिन यहां जिन लोगों के बीच में गठबंधन हुआ है वो एक जैसे नहीं हैं। कल तक वो लड़ाई कर रहे थे और एक दूसरे को मार रहे थे, वही आज साथ में काम कर रहे हैं। गठबंधन एक लाचारी है क्योंकि लगता है इस बार उनके अस्तित्व को खतरा है।
- बिसाहड़ा गांव में आपकी रैली विवादों में रही। अखलाक की हत्या का आरोपी रैली में पहली पंक्ति में दिखा और आपके लिए नारे लगा रहा था। आपके नहीं लगता कि ऐसे संगीन जुर्म के आरोपियों का साथ आम जनता में एक गलत संदेश देता है?
बिसाहड़ा मेरा इलाका नहीं है। मेरी लोकसभा के अंदर ऐसा कोई इलाका नहीं है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है और जिन्हें आरोपी बोला जाता है वो मेरे साथ खड़े नहीं होते।