उत्तर प्रदेशः जाट-यादव-दलित वोटबैंक में BJP की सेंध, जानें कैसे बिगड़ा महागठबंधन का खेल
By आदित्य द्विवेदी | Published: May 27, 2019 09:58 AM2019-05-27T09:58:48+5:302019-05-27T10:01:35+5:30
Lokniti-CSDS Post Poll Survey: बीजेपी ने महागठबंन के जातीय समीकरण को तहस-नहस कर दिया और महागठबंधन के कोर वोटर माने जा रहे जाट, यादव और दलितों में सेंध लगा ली।
लोकसभा चुनाव नतीजे 2019 सामने आने के बाद राजनीतिक विश्लेषकों को सबसे ज्यादा हैरान उत्तर प्रदेश ने किया। यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। लोकनीति-सीएसडीएस का पोस्ट पोल सर्वे में यह बात सामने आई है कि बीजेपी ने सपा-बसपा-रालोद के जातीय समीकरण को तहस-नहस कर दिया। महागठबंधन के कोर वोटर माने जा रहे जाट, यादव और दलितों में बीजेपी ने सेंध लगा ली।
उत्तर प्रदेशः लोकसभा चुनाव नतीजों पर एक नजर
80 संसदीय सीटों वाले उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने एकबार फिर धमाकेदार जीत दर्ज करते हुए 62 सीटें हासिल की। प्रदेश में बीजेपी ने 49.56 प्रतिशत वोट हासिल किए। महागठबंधन का हिस्सा रही बहुजन समाज पार्टी ने 19.26 प्रतिशत वोट के साथ 10 सीटें जीती। महागठबंधन का ही हिस्सा समाजवादी पार्टी को 17.96 प्रतिशत वोट के साथ सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल हुई। दो सीटें बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने जीते। कांग्रेस को सिर्फ सोनिया गांधी की सीट रायबरेली में जीत मिली जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
जाट, यादव और दलित मतदाताओं में बीजेपी की सेंधमारी
लोकनीति-सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक जाट वोट जिसे पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोक दल का कोर वोटर माना जाता है, उसने इसबार महागठबंधन पर भरोसा नहीं जताया। ना सिर्फ सपा-बसपा बल्कि जाटों ने आरएलडी प्रत्याशियों को भी वोट नहीं दिया। सर्वे के मुताबिक 91 प्रतिशत जाट मतदाताओं ने बीजेपी को वोट किया है।
समाजवादी पार्टी का कोर वोटर माने जा रहे यादव समुदाय ने भी पहले की तरह महागठबंधन का साथ नहीं दिया। 23 प्रतिशत यादव मतदाता बीजेपी के पास चले गए। यह आंकड़ा 2017 के विधानसभा चुनाव से भी ज्यादा है जब सूबे में सपा-कांग्रेस ने गठबंधन किया था।
बहुजन समाज पार्टी अपना जाटव वोटबैंक साधने में तो कामयाब रही हैं लेकिन नॉन जाटव दलित वोटबैंक में बीजेपी ने सेंध लगा ली। सर्वे के मुताबिक करीब 48 प्रतिशत नॉन जाटव दलितों ने बीजेपी प्रत्याशियों को वोट दिया।
मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो उसमें कांग्रेस पार्टी ने करीब 14 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया। इसी वजह से कई सीटों पर महागठबंधन और बीजेपी प्रत्याशियों में जीत का अंतर बढ़ गया। इसके अलावा ब्राह्मण, ठाकुर, कुर्मी-कोइरी और अन्य सवर्ण जातियों ने एकमुश्त बीजेपी को वोट किया।