लोकसभा चुनावः सौराष्ट्र में घर बचाने में उलझी रही कांग्रेस, BJP पर नहीं हो सकी आक्रामक
By महेश खरे | Published: April 22, 2019 08:27 AM2019-04-22T08:27:10+5:302019-04-22T08:27:10+5:30
भाजपा की विजय संकल्प रैलियों में और कुछ हो ना हो खेस बदल कार्यक्रम अवश्य होते रहे. दो दिन पहले जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दक्षिण गुजरात के दौरे पर आए तो बारडोली के तीन निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस के समर्थन में चुनाव मैदान से हट गए.
गुजरात में सौराष्ट्र के जामनगर, जूनागढ़, राजकोट और देवभूमि द्वारिका जिले हैं जिनमें कांग्रेस अपना घर बचाने में ही उलझी रही. हालत यह रही कि विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद पार्टी भाजपा पर आक्रामक नहीं हो सकी. सौराष्ट्र और मध्य, उत्तर गुजरात के जिलों में दलबदल का ऐसा दौर चला कि कांग्रेस के प्रदेश और जिला स्तर के प्रभावी चेहरों को निशाना बनाया गया.
खासतौर से क्षेत्र के जातीय नेताओं पर नजर रही. कांग्रेस के कद्दावर नेता और 5 विधायक पाला बदलकर भाजपा में चले गए. दो बड़े नेताओं को तो भाजपा ने विजय रुपाणी सरकार में मंत्री बना दिया. मेहसाणा की विधायक शारदा बेन अब कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव लड़ रही हैं.
नगरपालिका और पंचायतों के चेहरों की तो कोई गिनती ही नहीं है. प्रलोभनों का चलता रहा दौर गुजरात में बड़े चेहरों का पाला बदलाने के लिए प्रलोभनों का दौर चला. सियासी पार्टियां अपनी लकीर बड़ी बनाने के लिए दूसरे की लकीर को छोटा करने की जुगत भिड़ाती रहीं.
भाजपा की विजय संकल्प रैलियों में और कुछ हो ना हो खेस बदल कार्यक्रम अवश्य होते रहे. दो दिन पहले जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दक्षिण गुजरात के दौरे पर आए तो बारडोली के तीन निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस के समर्थन में चुनाव मैदान से हट गए. उधर मेहसाणा ताल्लुका पंचायत के कांग्रेस सहित तीन सदस्यों ने इस्तीफा देकर भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी.
पाटीदार, कोली और ठाकोर वोटर का प्रभुत्व इन जिलों के करीब 13 लोकसभा क्षेत्रों में पाटीदार, कोली और ठाकोर वोटरों का प्रभुत्व है. ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और आदिवासी समस्याओं से घिरा है और आक्रोश में है. विस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 42 फीसदी से भी अधिक हो गया था, जबकि भाजपा घटकर 50 फीसदी पर आ गई थी.