लोकसभा चुनाव 2024ः पटना में 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक!, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में दिखेगा असर, 134 सीट हैं इन राज्यों में
By एस पी सिन्हा | Published: May 29, 2023 03:55 PM2023-05-29T15:55:49+5:302023-05-29T15:57:34+5:30
Lok Sabha Elections 2024: झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में आदिवासी, राजद और समाजवादी पार्टी के वोट बैंक का साथ मिला तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 134 सीट हैं।
पटनाः विपक्षी एकता को लेकर बिहार की राजधानी पटना में आगामी 12 जून विपक्षी दलों की बैठक होने की संभावना है। देश में राजनीतिक उठापटक से विपक्षियों में निश्चित तौर पर एक पॉजिटिव एनर्जी दिख रही है। लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि बिहार मॉडल साल 2024 में होने वाले चुनावों के लिए संजीवनी ही साबित होगा ही।
क्योंकि विपक्षी दलों के हर बड़े चेहरे को हर पार्टी का कार्यकर्ता प्रधानमंत्री का चेहरा ही मानकर चल रहा है। वैसे विपक्षियों को अगर झारखंड (लोकसभा सीट-14), बिहार (लोकसभा सीट-40) और उत्तर प्रदेश (लोकसभा सीट-80) में आदिवासी, राजद और समाजवादी पार्टी के वोट बैंक का साथ मिला तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 134 सीट हैं।
बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एनडीए के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी और राज्य की 40 में से 39 सीट पर एनडीए के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। जबकि झारखंड में 14 सीटों में से 12 सीटें भाजपा और आजसू गठबंधन को मिला था। हालांकि नीतीश कुमार ने खुद को किसी पद की चाहत से अलग कर लिया है।
लेकिन जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार को विपक्ष की ओर से खड़ा कर उस सवाल का मुकम्मल जवाब दिया जा सकता है, जिसमें पूछा जाता है कि विपक्ष के पास पीएम फेस कहां है? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष में बड़ा दांव तो हाल के दौर में जदयू ने ही खेला है।
लेकिन विपक्ष में बड़ी पार्टी के तौर पर वहां पर खुद को कांग्रेस के अलावा ममता बनर्जी की टीएमसी भी देख रही है। वैसे नीतीश कुमार के मुहिम से विपक्ष में उत्साह आ गया है। विपक्ष अब गैर एनडीए दलों के साथ गठबंधन बनाकर 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने की रणनीति बनाने में लग गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा है कि एक संयुक्त विपक्ष, जिस पर वह काम कर रहे हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरा देंगे और "इसे लगभग 50 सीटों पर समेट देंगे"। हालांकि, पिछले तीन वर्षों में राज्य में बहुत कुछ बदल गया है। भाजपा को कुशवाहा वोट देने वाली रालोजद साथ आ गई है।
लोजपा, जिसके पास एक महत्वपूर्ण दलित वोट है, दो में विभाजित है। एक गुट रालोजपा (राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी), जिसका नेतृत्व पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस कर रहे हैं, जो भाजपा के साथ हैं। पशुपति पारस दलित वोटों को भाजपा के पक्ष में लामबंद कर पाएंगे, यह संदिग्ध है, क्योंकि चिराग पासवान अपने चाचा के खिलाफ लड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
उधर, महागठबंधन राजद, जदयू, कांग्रेस और वाम दलों के साथ यादव, अल्पसंख्यक, कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों का एक बड़ा हिस्सा है। इसी आधार पर साल 2024 का पूरा रोड मैप तैयार किया जाएगा। फिलहाल अभी यह कहना तो जल्दी होगा कि कौन-कौन राजनीतिक दल विपक्षी एकता की छतरी के नीचे आते हैं और कबतक साथ रहते हैं। ऐसे में 12 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक में आगे की पूरी रणनीति तैयार की जाएगी।