लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में आयातित नेताओं के सहारे कांग्रेस चुनावी नैया पार करने की तैयारी में

By निखिल वर्मा | Published: March 25, 2019 12:39 PM2019-03-25T12:39:29+5:302019-03-25T12:39:29+5:30

बिहार में कांग्रेस ने अपने दम सरकार 1985 में बनाई थी। उस समय पार्टी ने संयुक्त बिहार में 196 सीटों पर जीत हासिल की थी।

Lok Sabha Elections 2019 With the help of imported leaders in Bihar Congress is preparing to contest elections | लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में आयातित नेताओं के सहारे कांग्रेस चुनावी नैया पार करने की तैयारी में

लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में आयातित नेताओं के सहारे कांग्रेस चुनावी नैया पार करने की तैयारी में

Highlightsपिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस को करीबी 8 फीसदी मत मिले थे। कांग्रेस ने नौ में से 5 सीटों पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की जगह दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने जा रही है।

लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में महागठबंधन के बैनर तले कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। पिछले 30 सालों से बिहार में अपनी खोई जमीन पाने की कोशिश में कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आयातित नेताओं पर दांव लगाने की तैयारी में है। कांग्रेस ने नौ में से 5 सीटों पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की जगह दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने जा रही है।

रविवार को कांग्रेस को मिली तीन सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने कटिहार से तारिक अनवर, पूर्णिया से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह और किशनगंज से मो. जावेद को टिकट दिया है। जावेद किशनगंज से कांग्रेस विधायक हैं।

कटिहार

पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की टिकट पर तारिक अनवर ने जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी निखिल कुमार चौधरी को करीब 1.15 लाख वोटों से हराया था। 20 साल पहले कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में जाने वाले तारिक अनवर की घर वापसी कुछ महीने पहले ही हुई है। बता दें कि इस सीट पर तारिक अनवर 1984, 1996 और 1998 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल कर चुके हैं।

पूर्णिया

कांग्रेस से चुनाव लड़ने जा रहे उदय सिंह 2004 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी, जबकि 2014 में उन्हें हार मिली थी। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें जेडीयू के संतोष कुशवाहा ने करीब 1.16 लाख वोटों से हराया था। पूर्णिया सीट इस बार भी जेडीयू के खाते में है। अभी कुछ दिन पहले ही उदय सिंह ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की है।

पटना साहिब

शत्रुघ्न सिन्हा के बागी होने और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के इस सीट से उतरने के चलते पटना साहिब हॉट सीट बनी हुई है। लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी की टिकट से लड़ने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस उम्मीदवार कुणाल सिंह को 2.75 लाख वोटों से हराया था। कायस्थ बहुल इस सीट पर सिन्हा 2009 में भी चुनाव जीत चुके हैं। 2019 के चुनावी समर में सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में होंगे।

दरभंगा
वित्त मंत्री अरुण जेटली से विवाद के चलते बीजेपी छोड़ने वाले पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद दरभंगा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हो सकते हैं। पिछले महीने, आजाद ने राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ली थी। उनके लिए यह घर वापसी जैसा था क्योंकि उनके पिता भागवत झा आजाद बिहार से कांग्रेस के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री थे।

कीर्ति आजाद बीजेपी के टिकट पर 1999, 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। इसी तरह मुंगेर सीट पर कांग्रेस से मोकामा के निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को उतारा जा सकता है। यानि नौ में से पांच सीटों पर कांग्रेस का अपना उम्मीदवार नहीं है।

1985 में बनी थी आखिरी बार कांग्रेस सरकार

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में कांग्रेस ने 20 सालों बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। नीतीश-लालू के महागठबंधन के साथ लड़ने पर कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि कांग्रेस की खुशी ज्यादा टिक नहीं पाई। चुनाव के डेढ़ साल बाद ही जुलाई 2017 में महागठबंधन की सरकार गिर गई और नीतीश कुमार बीजेपी के साथ जा मिले। नीतीश ने लालू के साथ ही कांग्रेस को भी झटका दिया। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और युवा नेता अशोक चौधरी को भी उन्होंने अपने साथ जोड़ लिया।

बिहार कांग्रेस के पास अशोक चौधरी के कद का कोई नेता नहीं है। बता दें कि बिहार में कांग्रेस ने अपने दम सरकार 1985 में बनाई थी। उस समय पार्टी ने संयुक्त बिहार में 196 सीटों पर जीत हासिल की थी।

30 सालों से खस्ताहाल कांग्रेस

लोकसभा चुनावों कांग्रेस का आखिरी बार सबसे अच्छा प्रदर्शन 1984 में था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्या के बाद उपजे सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने संयुक्त बिहार की 54 सीटों में से 48 पर कब्जा जमाया था। वहीं कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन 1977 में था, जब आपातकाल के बाद हुए चुनाव में बिहार में कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो गया। हालांकि तीन साल बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने वापसी करते हुए 39 सीटों पर कब्जा जमाया था।

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद और प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने के बाद बिहार में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में उत्साह हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस को करीबी 8 फीसदी मत मिले थे। इस बार पार्टी दूसरे दलों से आए नेताओं के सहारे जनाधार बढ़ाने की कोशिश में है। 

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