लोकसभा चुनाव 2019ः महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं की अगली पीढ़ी मैदान में, तीसरे चरण को लेकर बढ़ी उत्सुकता
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 20, 2019 08:20 AM2019-04-20T08:20:08+5:302019-04-20T08:20:08+5:30
शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले, पूर्व राजस्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से की बहू रक्षा खड़से, विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के पुत्र सुजय लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उम्मीदवार हैं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले, पूर्व राजस्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से की बहू रक्षा खड़से, विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के पुत्र सुजय लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उम्मीदवार हैं. इसलिए अब इस बात को लेकर उत्सुकता है कि इन नेताओं के गढ़ सुरक्षित रहेंगे या पहली ही बार में धराशाई हो जाएंगे. तीसरे चरण के लिए 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. सुप्रिया सुले पिछली बार मोदी लहर में भी 69,719 वोटों से विजयी हुई थीं. उस समय रासप के महादेव जानकर ने कमल चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ा था. तब भाजपा ने कहा था कि कमल चुनाव चिन्ह नहीं होने से हम हारे.
इस बार उनके खिलाफ भाजपा की कांचन कुल उम्मीदवार हैं. इसलिए अब भाजपा पर यह साबित करने की नौबत आ गई है कि उसने जो कहा था वहीं सही है. बारामती निर्वाचन क्षेत्र वर्षों से शरद पवार का गढ़ रहा है. इसलिए संपूर्ण पवार परिवार ने सुप्रिया के पीछे अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. दूसरी ओर कांचन कुल के चुनाव प्रचार पर स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नजर रख रहे हैं. सुप्रिया की घेराबंदी के लिए भाजपा के कुछ नेताओं ने कांग्रेस के कुछ नेताओं से हाथ मिला लिया है.
राधाकृष्ण विखे पाटिल अहमदनगर में विचित्र राजनीतिक परिस्थिति से गुजर रहे हैं. वे स्वयं कांग्रेस में हैं, लेकिन बेटे के लिए मोर्चा बंदी कर रहे हैं. जलगांव जिले में भाजपा में गिरीश महाजन का उदय होने और मंत्री पद चले जाने से कुछ उपेक्षित महसूस कर रहे एकनाथ खड़से की बहू रक्षा खड़से रावेर से दूसरी बार भाग्य आजमा रही हैं.
रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के पुत्र नीलेश महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष की ओर चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला शिवसेना और कांग्रेस से है. इस निर्वाचन क्षेत्र पर अब भी पकड़ ढीली नहीं हुई है, यह साबित करने की चुनौती राणे के सामने है. अगली पीढ़ी के कारण पवार, विखे, राणे, खड़से की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.