लोकसभा चुनाव 2019: सहारनुपर में वीरान पड़ा है लकड़ी का हस्तशिल्प उद्योग, नोटबंदी-जीएसटी जैसे हैं खास चुनावी मुद्दे

By भाषा | Published: April 5, 2019 03:26 PM2019-04-05T15:26:40+5:302019-04-05T15:26:40+5:30

लोकसभा चुनाव 2019 : सहारनपुर में 1.5 लाख मतदाता शहर की मतदाता आबादी का आठ फीसदी हैं जहां चुनाव पहले चरण में 11 अप्रैल को होने हैं।

Lok Sabha Elections 2019: Saharanpur lok sabha seat issue like timber handicrafts industry, demonetisation, GST | लोकसभा चुनाव 2019: सहारनुपर में वीरान पड़ा है लकड़ी का हस्तशिल्प उद्योग, नोटबंदी-जीएसटी जैसे हैं खास चुनावी मुद्दे

लोकसभा चुनाव 2019: सहारनुपर में वीरान पड़ा है लकड़ी का हस्तशिल्प उद्योग, नोटबंदी-जीएसटी जैसे हैं खास चुनावी मुद्दे

Highlightsसहारनुपर में कुल 17,22,580 मतदाता हैं जिनमें से छह लाख मुसलमान हैं।करीब तीन लाख एससी/एसटी मतदाता हैं जबकि 1.5 लाख गुज्जर हैं। यहां 8,00,393 महिला मतदाता हैं

उज्मी अतहर

ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब अब्दुल सलाम रोड पर चहल-पहल दिखाई देती थी और देशभर से खरीदार फर्नीचर, फ्रेम, जालनुमा पैनल और लकड़ी से बनी सभी चीजें खरीदने वहां आते थे। कारीगर और कारोबारी बताते हैं कि यहां की यह चहल पहल और खुशहाली पर ग्रहण तब लग गया जब आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी हुई। इससे 1.5 लाख कारीगरों लोगों को रोजगार देने वाले यहां के उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा।

चार सौ करोड़ रुपये की लकड़ी के हस्तशिल्प कुटीर उद्योग का दिल कहे जाने वाली अब यह सड़क वीरान है। दुकानों में सामान भरा पड़ा है लेकिन खरीदार नहीं हैं। एक कारोबारी जाकिर हसन ने कहा, ‘‘आठ नवंबर 2016 को इस सड़क की सूरत बदल गई। हमारे हालात बदल गए। नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू करने से सहारनपुर का गौरव अभिशाप बन गया।’’ उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सहारनपुर का असंगठित क्षेत्र नोटबंदी के प्रभाव से अब भी उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है। जब चुनाव परिणाम घोषित हो जाएंगे तो इसका साफ तौर पर प्रभाव दिखेगा।’’

सहारनपुर में 1.5 लाख मतदाता शहर की मतदाता आबादी का आठ फीसदी हैं जहां चुनाव पहले चरण में 11 अप्रैल को होने हैं। हसन के अनुसार नोटबंदी और उसके बाद अस्थिरता ने कुशल कारीगरों के करीब 40 फीसदी कार्यबल को यह पेशा छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। इनमें से एक रमेश कुमार है जो अब अब्दुल सलाम रोड पर रिक्शा चलाता है जहां कभी वह लकड़ी की वस्तुएं बनाया करता था। कुमार ने कहा, ‘‘मैं जो मुगल नक्काशी डिजाइन बनाता था वह बड़ा मशहूर था लेकिन नोटबंदी के बाद मैं भूखे मरने की कगार पर आ गया।

मैंने यह पेशा छोड़ने का फैसला किया।’’ शहर में कुतुब शेर बाजार में एक दुकान नेशनल हैंडीक्राफ्ट के मालिक रईस अहमद ने कहा, ‘‘जिस दर से लोग इस पेशे को छोड़ रहे हैं, उससे 25 वर्षों में यह कला गायब हो जाएगी।’’ अहमद ने बताया कि नोटबंदी से पहले उनके सामान का निर्यात करीब एक करोड़ रूपये का था लेकिन अब यह सिफर के करीब पहुंच गया है। उपभोक्ता जीएसटी की इतनी ऊंची दरों पर उत्पाद खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करना इस कुटीर उद्योग के लिए आखिरी झटका था।

सहारानपुर से 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले और इस बार फिर चुनाव लड़ रहे भाजपा के राघव लखन पाल ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तशिल्प उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए ‘एक जिला, एक उत्पाद योजना’ शुरू की। इस योजना के परिणामस्वरूप उद्योग ने 1,500 करोड़ रुपये का कारोबार किया।’’ कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नोटबंदी और जीएसटी की ऊंची दरों ने कारोबार ‘‘कुचल’’ दिए। कांग्रेस ने इस सीट से इमरान मसूद जबकि बसपा ने फैजुल रहमान को खड़ा किया है। सहारनुपर में कुल 17,22,580 मतदाता हैं जिनमें से छह लाख मुसलमान हैं। करीब तीन लाख एससी/एसटी मतदाता हैं जबकि 1.5 लाख गुज्जर हैं। यहां 8,00,393 महिला मतदाता हैं। 

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: Saharanpur lok sabha seat issue like timber handicrafts industry, demonetisation, GST



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