लोकसभा चुनाव 2019: अमित शाह ने बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक कैसे लिखी मोदी की प्रचंड जीत की स्क्रिप्ट, जानिए
By नितिन अग्रवाल | Published: May 24, 2019 08:08 AM2019-05-24T08:08:26+5:302019-05-24T08:08:26+5:30
पांच साल के दौरान शाह देशभर में घूमकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते रहे. पन्ना प्रमखों का मजबूत नेटवर्क खड़ा किया. शिवसेना को मनाने के लिए भी शाह खुद उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंच गए.
लोकसभा चुनाव-2019 में मोदी का जादू चला तो अमित शाह की रणनीति भी पूरी तरह सटीक साबित हुई. इस सुपरहिट जीत के हीरो नरेंद्र मोदी हैं तो इसकी स्क्रिप्ट अमित शाह ने ही लिखी. इसके लिए उन्होंने एक ओर पार्टी को मजबूत किया वहीं गठबंधन के कुनबे को भी जोड़े रखा. शाह ने 2014 के चुनाव से पहले जो एनडीए से अलग हो गए नीतिश कुमार को फिर से साधा. बड़ा दिल दिखाते हुए अपनी जीती हुई सीटें भी उनके लिए छोड़ दीं.
इसी तरह नाराज शिवसेना को मनाने के लिए भी शाह खुद उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंच गए. चुनाव से ठीक पहले यूपी में अनुप्रिया पटेल नाराज होती दिखीं तो उन्हें भी शाह ने ही साधा. लगातार पांच साल में उन्होंने एनडीए के कुनबे को 39 दलों तक पहुंचा दिया. संगठन को मजबूत किया अध्यक्ष बनते ही शाह ने पार्टी को संगठन को मजबूत किया. हर जिले में पार्टी दफ्तर खोलने का लक्ष्य साधा. नीचे तक नई इकाइयां गठित कर अधूरी कडि़यों जोड़कर संगठन का माइक्र मैनेजमेंट किया.
पांच साल के दौरान शाह देशभर में घूमकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते रहे. पन्ना प्रमखों का मजबूत नेटवर्क खड़ा किया. युवाओं को विशेष रूप से पार्टी से जोड़ने के लिए एक बूथ-दस यूथ और मेरा बूथ सबसे मजबूत जैसे अभियान चलाकर जीत के लक्ष्य को जिम्मेदारी में तब्दील किया. मोदी भी कई मौकों पर उनकी इस संगठन क्षमता की तारीफ करते रहे हैं. लाभार्थियों को बनाया वोटर मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए भी उन्होने भाजपा के मजबूत नेटवर्क को काम पर लगाया. लाभार्थियों को वोट में तब्दील करने के लिए उनसे लगातार संपर्क बनाए रखा गया. इसके लिए विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के गांव गांव में रात्रि प्रवास के कार्यक्रम चलाए गए.
आरोपों को भी बनाया हथियार
विरोधी चुनावी रंग में आते उससे पहले ही शाह ने लोगों जोड़ने के लिए भारत के मन की बात मोदी के साथ शुरू किया. राहुल गांधी ने मोदी के खिलाफ चौकीदार चोर है का नारा दिया तो पार्टी ने इसे ही हथियार बनाने लिया और 'मैं भी चौकीदार' का नारा देकर उसे भी वोट में बदल लिया. सत्ता विरोधी लहर को किया नाकाम चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चुनाव में शाह की रणनीति पूरी तरह सटीक साबित हुई. आडवाणी, जोशी और सुमित्रा महाजन सहित 75 साल से अधिक के सभी नेताओं के टिकट काटे. छत्तीसगढ़ के सभी 10 सीटों पर चेहरे बदल दिए. नाराजगी की चिंता किए बिना उन्होंने लगभग 90 सीटों पर उम्मीदवार बदल कर सत्ता विरोधी लहर के असर को नाकाम कर दिया.