आम चुनाव की खास कहानियाँ: जब अटल बिहारी वाजपेयी लड़े थे तीन सीटों से लोकसभा चुनाव, दो पर मिली थी हार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 4, 2019 07:27 PM2019-04-04T19:27:26+5:302019-04-04T19:27:26+5:30
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे राजनेता हैं, जो चार राज्यों की छह लोकसभा क्षेत्रों की नुमाइंदगी कर चुके हैं।
सतीश कुमार सिंह
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। हर दल में चुनावी किस्से भी मजेदार है। लेकिन आपको पता न हो 1957 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ की तरफ से दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों बलरामपुर, लखनऊ और मथुरा से चुनाव लड़े थे।
हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तीन सीटों में से एक बलरामपुर से चुनाव जीते थे, जबकि लखनऊ में दूसरे नंबर पर थे और मथुरा में जमानत जब्त हो गई थी।
बलरामपुर में अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेस के हैदर हुसैन को मात दी थी, उस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी को 1,18,380 वोट मिले थे, जबकि हैदर हुसैन को 1,08,568 वोट मिले थे, तब अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार लोकसभा पहुंचे थे, तब उम्र 32 साल थी।
लखनऊ में कांग्रेस के पुलिन बिहारी बनर्जी ने जनसंघ प्रत्याशी अटल बिहारी वाजपेयी को मात दी।
मथुरा में उनके सामने कांग्रेस से चौधरी दिगंबर सिंह और सोशलिस्ट पार्टी के राजा महेंद्र प्रताप सिंह भी चुनाव लड़ रहे थे।
वाजपेयी के समर्थन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख ने एक दिन में 14-14 सभाएं की। इसके बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी हार गए।
उन्हें राजा महेंद्र प्रताप सिंह के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। मथुरा में वाजपेयी को मात्र 23 हजार 620 मत मिले थे।
अटल बिहारी वाजपेयी एकमात्र ऐसे राजनेता...
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे राजनेता हैं, जो चार राज्यों की छह लोकसभा क्षेत्रों की नुमाइंदगी कर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले एकलौते नेता हैं।
बाद में वाजपेयी ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बना ली। 1998, 1999 और 2004 का लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से जीतकर सांसद बने।
नेहरू ने कहा पीएम बनेगा...
प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अटल बिहारी वाजपेयी को उभरता हुआ राजनेता कहा था। अटल बिहारी वाजपेयी से पंडित जवाहरलाल नेहरू इतने प्रभावित हुए और कह डाला कि यह शख्स एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का सॉफ्ट कॉर्नर था। 1962 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो वाजपेयी बलरामपुर से चुनावी मैदान में उतरे।
कांग्रेस ने सुभद्रा जोशी को चुनावी मैदान में उतार दिया। जोशी अविभाजित पंजाब की रहने वाली थीं और बंटवारे के बाद वह हिंदुस्तान चली आई थीं। नेहरू ने जोशी को वाजपेयी के खिलाफ लडऩे के लिए कहा। सुभद्रा राजी हो गईं।
नेहरू ने खुद उस वक्त दो बीघा जमीन सिनेमा से देश में अपनी पहचान बना चुके अभिनेता बलराज साहनी से कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने को कहा। जोशी को चुनाव लडऩे के लिए जवाहरलाल नेहरू ने भेजा था, लेकिन खुद नेहरू जोशी के लिए प्रचार करने नहीं आए थे।
खुद जोशी भी चाहती थीं कि नेहरू प्रचार करें। जवाहरलाल नेहरू को अटल के खिलाफ प्रचार करने के लिए कहा गया तो नेहरू ने प्रचार करने से साफ मना कर दिया।