Lok Sabha Election Results 2024: उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट मुकाबले खुद को साबित किया बाजीगर, 9 बनाम 7 के परिणाम ने बढ़ाया महाविकास अघाड़ी में कद
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 5, 2024 10:00 IST2024-06-05T09:55:42+5:302024-06-05T10:00:25+5:30
उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी), जो महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के हिस्से के रूप में महायुति गठबंधन के खिलाफ लड़ाई के मैदान में थी। उसने 21 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की है।

फाइल फोटो
मुंबई: लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र से भारी उलटफेर देखने को मिला। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी), जो महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के हिस्से के रूप में महायुति गठबंधन के खिलाफ लड़ाई के मैदान में थी। उसने 21 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की है।
उद्धव की सेना ने शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से दो सीटें अधिक जीती हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी ने कुल 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिसमें उसे सात सीटों पर कामयाबी मिली है। इस पूरे प्रकरण में सबसे दिलचस्प बात यह है कि मुंबई में, जहां पार्टी की स्थापना हुई थी। शिवसेना (यूबीटी) ने मुंबई की जिन चार सीटों पर चुनाव लड़ा था उनमें से तीन पर जीत हासिल की लेकिन कोंकण में उद्धव को हार का सामना करना पड़ा, जो उनका मुख्य गढ़ माना जाता था।
समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार उद्धव ठाकरे ने चुनाव नतीजों के बाद कहा, ''मुझे उम्मीद थी कि हम अधिक सीटें जीतेंगे। हमें कुछ संदेह है। हम मुंबई उत्तर पश्चिम में रवींद्र वायकर के चुनाव को चुनौती देंगे। हम कोंकण में सीट हार गए हैं, यह आश्चर्य की बात है लेकिन हम देखेंगे कि ऐसा क्यों हुआ।''
वहीं शिंदे गुट का आरोप कि ठाकरे परिवार ने पार्टी संस्थापक बालासाहेब के मूल मूल्यों को नकार दिया था। जिसके कारण पार्टी की ऐसी हालत हुई है। शिंदे गुट ने कहा कि नतीजों का मतलब है ठाकरे के लिए मुक्ति, जिन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर कट्टर हिंदुत्व के आदर्शों के साथ छल किया है।
लेकिन दोनों दलों के आरोप-प्रत्यारोप के इतर यह चुनावी परिणाम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) भाजपा के साथ संबंध तोड़ने के बावजूद अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही। महाविकास अघाड़ी को लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद अब इस बात की संभावना है कि उद्धव ठाकरे अक्टूबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं।
एक चुनावी पर्यवेक्षक ने कहा, “शिवसेना के मुख्य मराठी मतदाता ठाकरे के साथ रहे हैं और वह मुस्लिम और दलित मतदाताओं को जोड़ने में कामयाब रहे हैं। यह उन्हें विधानसभा चुनावों के लिए सबसे स्वीकार्य चेहरा बनाता है।”
लोकसभा नतीजों से यह भी पता चलता है कि महाविकास अघाड़ी सहयोगियों के बीच वोट ट्रांसफर हो सकता है। कृषि संकट और नौकरियों तथा महंगाई को लेकर चिंता के बीच राज्य में मजबूत सत्ता विरोधी लहर दिखाई देने के साथ ठाकरे विधानसभा चुनावों के लिए मिशन मोड में होंगे।
शिवसेना (यूबीटी) के पदाधिकारियों को भी उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद शिंदे गुट के कई कार्यकर्ता और नेता घर वापसी कर सकते हैं। जबकि ठाकरे ने कहा है कि दलबदलू विधायकों और सांसदों के लिए उनके दरवाजे बंद हैं, हालांकि वो छोटे पदाधिकारियों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को वापस ले सकते हैं।
एक पर्यवेक्षक ने कहा, ''अगर विधायकों और सांसदों को वापस नहीं लिया गया तो भी उद्धव पूर्व नगरसेवकों और शाखा स्तर के कार्यकर्ताओं को लुभाने के लिए अति अभियान चला सकते हैं।'' अक्टूबर में शिवसेना (यूबीटी) की नजर अघाड़ी के भीतर विधानसभा सीटों के एक बड़े हिस्से पर भी होगी।"