पीएम मोदी बोले- ढाई जिलों में सिमटा कश्मीर में आतंकवाद, इन 10 आतंकी संगठनों के चलते घाटी है अशांत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 18, 2019 01:32 PM2019-04-18T13:32:05+5:302019-04-18T13:32:05+5:30
लोकसभा चुनाव को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के अमरेली में आयोजित एक रैली में जनता को संबोधित किया। बता दें कि गुजरात की सभी सीटों पर 23 अप्रैल को चुनाव होने हैं।
लोकसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के अमरेली में आयोजित एक रैली में कहा कि उनकी सरकार आतंकवाद को जम्मू-कश्मीर के केवल ‘‘ढाई’’ जिलों तक सीमित करने में कामयाब रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश के किसी अन्य हिस्से में पिछले पांच साल में कोई बम विस्फोट नहीं हुआ।
उन्होंने देश में पहले हुए बम विस्फोट के विभिन्न मामलों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘देश के किसी अन्य हिस्से में पिछले पांच वर्ष में कोई बम विस्फोट नहीं हुआ। हम आतंकवाद को जम्मू-कश्मीर के केवल ढाई जिलों तक सीमित करने में सफल रहे हैं।’ ऐसे में आइए जानते हैं कि जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाने वाले 10 आतंकी संगठनों के बारे में।
इन 10 आतंकी संगठनों के चलते जम्मू कश्मीर में आतंकवाद
जैश-ए-मोहम्मद
14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमला हुआ था। इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली। मौलाना मसूद अजहर इस आतंकी संगठन का मुखिया है। दिसंबर 1999 में अपहृत भारतीय विमान IC 814 के यात्रियों को बचाने के लिए मसूद अजहर को अफगानिस्तान के कंधार में छोड़ा गया था। इसके बाद फरवरी 2000 में मसूद अजहर ने हरकत-उल-मुजाहिदीन को बांटकर जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की। मसूद अजहर को भारतीय अधिकारियों ने 1994 में कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन का सदस्य होने के आरोप में श्रीनगर से गिरफ्तार किया था। अपनी स्थापना के दो महीने के भीतर ही जैश-ए-मोहम्मद ने श्रीनगर में बदामी बाग स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली थी। जैश संसद भवन (2001) और पठानकोट एयर बेस (2016) पर हमले का भी जिम्मेदार है। पाकिस्तान ने जैश ए मोहम्मद पर 2002 में ही प्रतिबन्ध लगा दिया था, मसूद के बारे में कहा जाता है उन्होंने पकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर में अपना ठिकाना बना रखा है।
2. हिजबुल मुजाहिदीन
हिजबुल मुजाहिदीन एक आतंकी संगठन है। इसका प्रमुख जिहाद काउंसिल का चेयरमैन व आतंकी सैयद सलाहुद्दीन है। सैयद सलाहुद्दीन ने साल 1987 में मुस्लिम मुताहिदा महज की तरफ से चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गया। इसके बाद वह कश्मीर में आतंक फैलाने लगा। साल 1994 सैयद पाकिस्तान पहुंचा, जहां उसने कश्मीर की आजादी के नाम पर मासूम लोगों का खून बहाना शुरू कर दिया। अमेरिका ने 2017 में उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार दिया है। हिजबुल मुजाहिदीन ने जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें साल 2014 के अप्रैल महीने में हुए धमाके भी शामिल हैं जिसमें 17 लोग जख्मी हुए थे। यह जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा सशस्त्र समूह है।
3. लश्कर-ए-तैयबा उर्फ जमात उद दावा
लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन का मुखिया हाफिज सईद है।साल 2005 में दिल्ली बम धमाके और 2008 में मुंबई हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था। 1990 के दिनों से ही इस संगठन को कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान और आईएसआई का पूरा समर्थन प्राप्त है। माना जाता है कि इस संगठन के सदस्य हजारों की संख्या में हैं। भारत, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद पर अमेरिकी सरकार ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा है।
4. हरकत-उल-मुजाहिदीन/हरकत उल अंसार
इस संगठन की स्थपाना 1980 के दशक में हुई। रूस-अफगान युद्ध खत्म होने के बाद इस संगठन के लड़ाकों ने कश्मीर की ओर रुख किया। 1993 में इसी से एक और आतंकी हरकत उल अंसार का जन्म हुआ। मौलाना मसूद अजहर इसी संगठन में पहले महासचिव था। संगठन बनने के बाद ही इसके सदस्य सज्जाद अफगानी, मौलाना मसूद अजहर और नसरुल्लाह मंसूर लंगरयाल को गिरफ्तार कर लिया गया। अपने नेताओं को छुड़ाने के लिए इस संगठन ने 1995 के जुलाई माह में कई विदेशी सैलानियों का अपहरण किया था जिनकी बाद में ह्त्या कर दी गयी थी।
5. अल उमर मुजाहिदीन
इस संगठन का मुखिया मुश्ताक अहमद जरगर है। इस आतंकी को कंधार विमान अपहरण कांड के बाद भारत ने मसूद अजहर के साथ छोड़ा था। इस आतंकी संगठन ने 2016 में श्रीनगर के जकूरा में सशस्त्र सीमा बल के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। ये हमला उस समय हुआ जब एसएसबी की टीम उनकी ड्यूटी से लौट रही थी।
6. अल कायदा
साल 2014 में अल कायदा के नेता आयमन अल जवाहिरी ने वीडियो संदेश में भारतीय उपमहाद्वीप में अपने संगठन की शाखा के गठन की घोषणा की थी। इस संगठन का नाम रखा गया अंसार गजावत-उल-हिंद। इस संगठन का नेतृत्व जाकिर मूसा कर रहा है। अल कायदा का गठन 1988 में पाकिस्तान के शहर पेशावर में हुआ था। अफगानिस्तान और पाकिस्तान का सीमावर्ती इलाके इसके जाने-माने गढ़ रहे हैं। इसी संगठन ने साल 2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को विमान से उड़ा दिया था। इसके बाद अमेरिकी कार्रवाई में साल 2011 में इसका मुखिया ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में मारा गया।
7. जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट
इस संगठन ने वर्ष 1996 में लाजपत नगर मार्केट में बम विस्फोट किया था। इस धमाके में 13 लोगों की जान चली गई थी जबकि 38 लोग घायल हुए थे। इसके तीन सदस्यों मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद अली भट्ट और मिर्जा निसार हुसैन को दिल्ली की एक अदालत ने साल 2010 में फांसी की सजा सुनाई थी।
8. इस्लामिक स्टेट
सीरिया और इराक में आतंक का पर्याय बन चुका इस्लामिक स्टेट ने साल 2017 में पहली बार जम्मू-कश्मीर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। पिछले साल ही श्रीनगर के जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के बाद कुछ नकाबपोश लोगों ने आईएस का झंडा लहराया। हालांकि इस संगठन के सांगठनिक ढांचे के बारे में कोई खबर नहीं है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल के दौरान सुरक्षाबलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए श्रीनगर के दो आतंकियों के शव आईएस और अलकायदा के झंडों में लिपटे थे। कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि मुगीस अहमद मीर के अंतिम संस्कार के बाद उनके रिश्तेदारों ने ये बात मानी कि वो आईएसआईएस की विचारधारा से प्रेरित था।
9. तहरीक उल मुजाहिदीन
'कश्मीर की आजादी' के मकसद से तहरीक-उल-मुजाहिदीन 1990 में अस्तित्व में आया था। कुछ दिनों पहले ही इस संगठन को केंद्र सरकार ने बैन किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए, जिसमें पाया गया कि टीयूएम ने कई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में बड़ी भूमिका निभाई। उसके कई सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है। इन मामलों में पाया गया कि कश्मीरी युवकों के लिए यह आतंकी संगठन कई प्रशिक्षण केंद्र चला रहा है और इसके जरिए जम्मू-कश्मीर से और अधिक युवकों को इसमें शामिल किये जाने की संभावना है।
10. अल-बदर
इसी साल जनवरी महीने में सुरक्षा बलों ने यारीपोरा (कुलगाम) मुठभेड़ में अल-बदर के चीफ कमांडर जीनत उल इस्लाम को मार गिराया था। आतंकी जीनत आईईडी बनाने में माहिर था और दर्जनों आतंकी वारदातों में वांछित भी था। पिछले कुछ सालों में कई स्थानीय युवाओं ने इस संगठन को ज्वाइन किया है। इसके अलावा कश्मीर में दीनदार अंजुमन, जमीयत उल मुजाहिदीन और दुख्तरान-ए-मिल्लत जैसे संगठन भी सक्रिय हैं।