साध्वी प्रज्ञा ठाकुर: जानिए, मालेगांव ब्लास्ट के आरोप से लेकर बीजेपी के रास्ते राजनीति में आने तक की कहानी

By विनीत कुमार | Published: April 17, 2019 03:38 PM2019-04-17T15:38:19+5:302019-04-17T15:38:19+5:30

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर 2008 में मालेगंवा ब्लास्ट के बाद चर्चा में आई जब उन पर इन धमाकों में शामिल होने का आरोप लगा।

lok sabha election 2019 know all about sadhvi Pragya Singh Thakur bjp candidate from bhopal | साध्वी प्रज्ञा ठाकुर: जानिए, मालेगांव ब्लास्ट के आरोप से लेकर बीजेपी के रास्ते राजनीति में आने तक की कहानी

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (फाइल फोटो)

Highlightsबीजेपी की ओर से भोपाल लोकसभा सीट पर साध्वी प्रज्ञा का नाम फाइनल!साध्वी को भोपाल से टिकट मिला तो दिग्जिवजय सिंह को देंगी चुनौती साल 2008 में मालेगांव धमाके के बाद बाद विवादों में आई थीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बुधवार को बीजेपी में शामिल होने के साथ ही लगभग साफ हो चला है कि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल से वह लोकसभा चुनाव-2019 के लिए मैदान में उतरेगी। इससे पहले शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती का नाम लगातार भोपाल से चर्चा में था। हालांकि, अब काफी सोच-विचार के बाद बीजेपी उस 'हिंदू चेहरे' को उतारने का मन बना चुकी है जिसके आने से वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है। 

खास बात ये भी है कि दिग्विजय वह शख्स हैं जिन्होंने साध्वी पर आतंकवादी होने का टैग लगाते हुए पूर्व में कई हमले किये हैं। ऐसे में बीजेपी का गढ़ होने के बावजूद भोपाल की लड़ाई दिलचस्प होने जा रही है। यही नहीं, साध्वी के लिए भी अपने विरोध करने वालों को जवाब देने के लिए यह समय माकूल होगा।

मालेगांव ब्लास्ट के बाद विवादों में आईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर

साध्वी 2008 में मालेगंवा ब्लास्ट के बाद चर्चा में आई जब उन पर इन धमाकों में शामिल होने का आरोप लगा। दरअसल, महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को बम धमाके हुए। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई महाराष्ट्र के एटीएस ने जनवरी-2009 में एक चार्जशीट दायर की जिसमें साध्वी प्रज्ञा सहित 14 लोगों के नाम थे। साध्वी को अक्टूबर-2008 में हिरासत में लिया जा चुका था और एटीएस लगातार यह कह रही थी कि इस धमाके के पीछे के मास्टरमाइंड में से एक साध्वी प्रज्ञा भी हैं। साल 2011 में गृह मंत्रालय ने यह मामला एनआईए को सौंप दिया।

बहरहाल, 2014 में केंद्र में सरकार बदली और नरेंद्र मोदी बहुमत के साथ सत्ता में आये। एनआईए ने जब 2016 में मालेगांव धमाके पर अपनी सप्लीमेंट्री जार्चशीट दाखिल की तो उसमें एटीएस की जांच को संदिग्ध बताते हुए साध्वी प्रज्ञा और दूसरे और पांच लोगों को मुख्य आरोपी की लिस्ट से बाहर कर दिया। साध्वी के लिए यहीं से राह आसान होती गई। बाद में उन्हें बेल भी मिल गई।

9 साल तक जेल में रहीं साध्वी प्रज्ञा

साध्वी मालेगांव धमाके की आरोपी के तौर पर करीब 9 साल जेल में रहीं। साध्वी मध्य प्रदेश से आती हैं वह इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उनका झुकाव शुरू से ही दक्षिणपंथ की ओर रहा है। साध्वी प्रज्ञा ABVP की नेता और विश्व हिन्दू परिषद की महिला शाखा 'दुर्गा वाहिनी' में सक्रिय रही हैं। 

बताते चलें कि भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है और इस सीट पर वर्ष 1989 से बीजेपी का कब्जा है। भोपाल के मौजूदा सांसद आलोक संजर हैं और उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से 3.70 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। भोपाल में 12 मई को वोटिंग है।

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