पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट: क्या बीजेपी प्रत्याशी राधामोहन सिंह को चित कर पायेगा महागठबंधन?

By एस पी सिन्हा | Published: May 10, 2019 05:41 PM2019-05-10T17:41:08+5:302019-05-10T17:41:25+5:30

बिहार के पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र का गणित राष्ट्रवाद, विकास और जातीय समीकरण में उलझा हुआ है. वैसे कई जगहों पर जातीय समीकरण भी दरकता नजर आ रहा है. यहां 12 मई को मतदान होना है और कुल 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. 

lok sabha election 2019: East champaran lok sabha seat history and political analytics fight between BJP Vs Alliance | पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट: क्या बीजेपी प्रत्याशी राधामोहन सिंह को चित कर पायेगा महागठबंधन?

पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट: क्या बीजेपी प्रत्याशी राधामोहन सिंह को चित कर पायेगा महागठबंधन?

बिहार में भीषण गर्मी और मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही शहर से गांव तक राजनीतिक तापमान में लोग झुलसने लगे हैं. बिहार के पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र का गणित राष्ट्रवाद, विकास और जातीय समीकरण में उलझा हुआ है. वैसे कई जगहों पर जातीय समीकरण भी दरकता नजर आ रहा है. यहां 12 मई को मतदान होना है और कुल 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. 

यहां भाजपा की ओर से 10वीं बार चुनाव लड़ रहे केंद्रीय कृषि सह किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह अब तक पांच बार जीत चुके हैं. वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन के रालोसपा प्रत्याशी आकाश कुमार सिंह पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र हैं. 

जानिए जातिगत समीकरण

दोनों प्रत्याशी अगड़ी जाति से हैं बस अंतर इतना हीं है कि एक ओर जहां राधामोहन सिंह राजपूत बिरादरी से हैं तो अवकाश कुमार सिंह भूमिहार जाति से हैं. ऐसे में सबकी नजर सहनी, कुशवाहा, यादव व पिछड़ों के बडे वोट बैंक पर है. एनडीए विकास कार्य और मोदी सरकार की उपलब्धियां गिना रहा है तो महागठबंधन मोदी सरकार की विफलता व स्थानीय समस्या को मुद्दा बना रहा है. चुनावी लड़ाई में कई गडे मुर्दे भी उखाड़े जा रहे हैं. वहीं, भाकपा प्रत्याशी प्रभाकर जायसवाल अपने पुराने गढ़ को कब्जा करने के प्रयास में हैं. 

लोकसभा सभा सीट का इतिहास 

पूर्वी चंपारण महात्मा गांधी के सत्याग्रह का प्रयोस्थल रहा है. इस वजह से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी खास पहचान है. यहां मतदाता भी मुखर हैं. चुनाव की चर्चा छिड़ी नहीं कि चौक-चौराहों पर खडे़ लोग गणित समझाने लगते हैं. 2014 के चुनाव में राजद के विनोद श्रीवास्तव दूसरे स्थान पर थे तो जदयू के अवनीश कुमार सिंह तीसरे स्थान पर. इस बार जदयू-भाजपा साथ है तो रालोसपा और हम एनडीए से अलग है. 

राधामोहन सिंह के पक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के अलावा कई नेता प्रचार में जुटे हैं तो आकाश कुमार के पक्ष में तेजस्वी यादव, उपेंद्र कुशवाहा सभाएं कर रहे हैं. ऐसे में अब सनकी निगाहें इस ओर है कि क्या राधामोहन सिंह को पछाड़ना अवकाश के लिए आसान होगा? कुल मिलाकर अटकलों और राधामोहन सिंह की छवि को देख चुनावी रओचक मोड़ पर खड़ा है.

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