वकील अदालत की कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते, मुव्वकिलों के हितों को खतरे में नहीं डाल सकते : न्यायालय

By भाषा | Updated: October 12, 2021 15:51 IST2021-10-12T15:51:53+5:302021-10-12T15:51:53+5:30

Lawyers cannot obstruct court proceedings, jeopardize the interests of clients: SC | वकील अदालत की कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते, मुव्वकिलों के हितों को खतरे में नहीं डाल सकते : न्यायालय

वकील अदालत की कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते, मुव्वकिलों के हितों को खतरे में नहीं डाल सकते : न्यायालय

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि बार एसोसिएशन के हड़ताल या बहिष्कार के कारण वकीलों का सुनवाई के लिए अदालत आने से इंकार करना ‘गैर-पेशेवर’ और ‘अशोभनीय’ है क्योंकि वे अदालती कार्यवाही में बाधा नहीं डाल सकते और अपने मुव्वकिल के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक वकील अदालत का अधिकारी होता है जिसे समाज में विशेष दर्जा प्राप्त होता है।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना ने 27 सितंबर, 2021 को राजस्थान उच्च न्यायालय के वकीलों की हड़ताल के एक मामले की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की।

पीठ ने कहा, ‘‘...बार एसोसिएशन और बार काउंसिल द्वारा आहूत हड़ताल या बहिष्कार के कारण अदालती कार्यवाही में शामिल होने से इंकार करना किसी भी वकील के लिए गैर-पेशेवर और अशोभनीय है। इतना ही नहीं वकील अदालत का एक अधिकारी होता है और समाज में उसे विशेष दर्जा प्राप्त होता है, वकीलों का दायित्व और कर्तव्य है कि वे अदालत की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने दें, उनका अपने मुव्वकिलों के प्रति कर्तव्य होता है और हड़ताल न्याय की प्रक्रिया में बाधक बनता है।’’

न्यायालय से कहा, ‘‘इसलिए वे अदालत की कार्यवाही को बाधित नहीं कर सकते और अपने मुव्वकिलों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। इस अदालत (न्यायालय) द्वारा पहले दिए गए आदेशों और वकीलों की हड़ताल पर चिंता व्यक्त किये जाने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है....,’’

शीर्ष अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की दलील पर संज्ञान लिया कि बीसीआई ने जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर दिया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि सिर्फ एक अदालत के बहिष्कार का आह्वान किया गया था। इसपर शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘सिर्फ एक अदालत का बहिष्कार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा और जिस अदालत का बहिष्कार किया गया है उसके न्यायाधीश पर इबाव पड़ेगा और यह न्यायपालिका को नैतिक पतन की ओर ले जा सकता है।’’

पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और पदाधिकारियों को नोटिस जारी करके पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।

इस मामले पर अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होनी है।

न्यायालय ने चार अक्टूबर को अपने आदेश में रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से नोटिस तामील करे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Lawyers cannot obstruct court proceedings, jeopardize the interests of clients: SC

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे