टिकरी बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या, हरियाणा के जींद से आए थे कर्मबीर, सुसाइड नोट में लिखी ये बात
By विनीत कुमार | Published: February 7, 2021 11:15 AM2021-02-07T11:15:58+5:302021-02-07T11:23:08+5:30
किसान आंदोलन का आज 74वां दिन है। इस बीच दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर देर रात एक किसान ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। एक सुसाइड नोट भी मौके से मिला है।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बीच एक और किसान की मौत हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर देर रात एक किसान ने कथित तौर पर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
मृतक की उम्र 52 साल बताई गई है और उनकी पहचान कर्मबीर सिंह के तौर पर हुई है। बताया जा रहा है कि वे हरियाणा के जींद से किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आए थे।
कर्मबीर की तीन बेटियां हैं और एक बेटी की शादी हो चुकी है। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें कहा गया है कि जब तक काले कानून रद्द नहीं होते हैं तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे।
सुसाइड नोट में लिखा है, 'भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। मोदी सरकार तारीख पर तारीख देती जा रही है। इसका कोई अंदाजा नहीं है कि काले कानून कब रद्द होंगे। ये काले कानून जब तक रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे।'
किसान आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर 74 दिन से आंदोलन
गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 74 दिन से डटे हैं और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
Delhi: Heavy security deployment continues at the Tikri border (Delhi-Haryana border) as farmers' protest against three agriculture laws enters the 74th day.
— ANI (@ANI) February 7, 2021
(Latest visuals from near the protest site) pic.twitter.com/wAyWzqYHnY
जारी किसान आंदोलन के बीच किसी किसान के आत्महत्या की ये पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पहले ही टिकरी बॉर्डर पर एक किसान जय भगवान ने कथित तौर पर खुद जहर खा लिया था।
किसान को गंभीर हालत में संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। ऐसे ही एक ओर सिख गुरु संत राम सिंह के सिंघु बॉर्डर के करीब अपनी जान देने की खबर आई थी।
बताते चलें कि आंदोलन के बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन हल नहीं निकल सका है। इस बीच केंद्र ने किसानों के सामने 1.5 साल के लिए तीन कृषि कानूनों को टालने का भी प्रस्ताव रखा है। किसानों ने हालांकि इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।