जब अमृता शेरगिल ने खुशवंत सिंह को उत्तेजित करने की ठानी; 'डर्टी ओल्ड मैन' की ज़िंदगी के दिलचस्प किस्से
By आदित्य द्विवेदी | Published: March 20, 2018 07:44 AM2018-03-20T07:44:33+5:302018-03-20T07:44:33+5:30
'शाम को कुछ खूबसूरत लड़कियों के साथ महफिल जमती भी है तो 15-20 मिनट से ज्यादा टिकने नहीं देता। मैं अपने स्टडी रूम में वापस लौट जाता हूं।'
सलमान रुश्दी की विवादित किताब 'दि सैटेनिक वर्सेस' प्रकाशन होना था। उस वक्त खुशवंत सिंह पेंगुइन वाइकिंग के सलाहकार थे। उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी और इसे भारत में प्रकाशित करने से इनकार कर दिया। पेंगुइन के मालिकों ने दबाव डाला तो उन्होंने साफ कर दिया कि ये भारत के मुसलमानों की भावनाएं आहत कर सकती है। खुशवंत सिंह की नास्तिकता के बावजूद धर्म को लेकर उनकी संवेदनशीलता महान बनाती है। देश के जाने-माने लेखक, कवि और स्तंभकार खुशवंत सिंह का निधन साल 2014 में 20 मार्च को हुआ था। वो भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी रंगीन जिंदगी के दिलचस्प किस्से आज भी हमारे बीच मौजूद हैं।
जब अमृता ने खुशवंत को उत्तेजित करने की ठानी
अमृता शेरगिल अपनी चित्रकारी और हरफनमौला आदतों के लिए मशहूर थी। खुशवंत सिंह भी दिलफेंक मिजाज के थे। एकबार खुशवंत सिंह ने शिमला स्थित अपने घर में पार्टी दी जहां अमृता को भी आमंत्रित किया गया था। उस वक्त खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह बहुत छोटे थे। अमृता ने चिल्लाकर कहा कि कितना बदसूरत बच्चा है! खुशवंत सिंह की पत्नी को यह बात बहुत बुरी लगी। उन्होंने अमृता का नाम अपने मेहमानों की सूची से हटा दिया। जब अमृता को पता चला तो उसने कसम खाई कि मैं उसके पति को लुभाकर उसे सबक सिखाऊँगी। हालांकि खुशवंत अफसोस जाहिर करते हैं कि अमृता ने कभी ऐसा किया नहीं। इस किस्से का जिक्र खुशवंत सिंह ने अपनी किताब 'My unforgettable Women' में किया है।
कितना सही है 'डर्टी ओल्ड मैन' का टैग
खुशवंत सिंह ने साल 2000 में बीबीसी को एक इंटरव्यू दिया था। अपने साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि मुझे 'डर्टी ओल्ड मैन' समझना लोगों ने क्लीशे बना दिया है। लेकिन हकीकत यही है कि मैं सुबह चार बजे उठकर काम करना शुरू कर देता हूं। जिस आदमी ने 80 से ज्यादा किताबें लिखी हों उसके पास ऐय्याशी के लिए कितना वक्त होगा भला। मेरे पास तो बिल्कुल भी नहीं है। शाम को कुछ खूबसूरत लड़कियों के साथ महफिल जमती भी है तो 15-20 मिनट से ज्यादा टिकने नहीं देता। मैं अपने स्टडी रूम में वापस लौट जाता हूं।
खुशवंत-अमृता का एक और किस्सा
खुशवंत सिंह अपनी किताब ‘death at my doorstep’ में यादों को ताजा करते हुए लिखते हैं, 'एक दिन दोपहर में, जब मैं घर लौटा तो पाया कि मेरा फ्लैट किसी महंगे फ्रांसीसी इत्र की खुशबू से गमक रहा था। बैठकखाना सह-पुस्तकालय की मेज पर एकदम ठंडे बीयर का बड़ा-सा चांदी का प्याला पड़ा था। मैं दबे पांव रसोई में पहुंचा और रसोइये से आगंतुक के बारे में पूछा। 'कोई मेम साहब साड़ी में थी- उसने मुझे बताया। उसने मेमसाहब को यह भी बताया था कि मैं किसी भी वक्त भोजन के लिए आ सकता हूं। उसने खुद ही फ्रिज से बीयर की बोतल निकाल कर परोसी थी और खुद को तरोताजा करने गुसलखाने गई थी। मुझे इसमें जरा भी शक नहीं था कि यह अनिमंत्रित महिला अतिथि अमृता शेरगिल को छोड़ कर कोई और नहीं है।
खुशवंत सिंह की जिंदगी का सफरनामा
- पंजाब के हदाली में 2 फरवरी 1915 को पैदा हुए खुशवंत सिंह ने शुरुआती शिक्षा लाहौर से प्राप्त की। उसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। लंदन से ही उन्होंने वकालत की पढ़ाई की।
- खुशवंत ने पत्रकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। 1951 में आकाशवाणी से जुड़े थे।
- 1980 तक उन्होंने 'इलस्ट्रेडेड वीकली ऑफ इंडिया' और 'न्यू डेल्ही' का संपादन किया। इसके बाद उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स का संपादन शुरू किया।
- हिंदुस्तान टाइम्स में लिखे उनके ब्लॉग लंबे समय तक जारी रहे। उनका हिन्दी समेत कई भाषाओं में अनुवाद किया जाता था। उन्होंने जिंदगी के आखिरी क्षणों तक लेखन से नाता जोड़े रखा।
- उन्हें 1974 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने पुरस्कार वापस लौटा दिया। साल 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- खुशवंत सिंह का निधन साल 2014 में 20 मार्च को हुआ था।