केरल पुलिस भद्रकाली मंदिर का प्रशासन संभालकर फंसी, राज्य में हो रहा है विरोध

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 2, 2022 06:07 PM2022-04-02T18:07:27+5:302022-04-02T18:11:57+5:30

केरल के कोझीकोड जिले के मुथलक्कुलम में भद्रकाली मंदिर का पूरा  प्रशासनिक मामला जिला पुलिस देखती है। इसलिए इसे 'पुलिस मंदिर' भी कहते हैं। बीते कई दशकों से यह मंदिर लगभग पूरी तरह से जिला पुलिस कर्मियों द्वारा चलाए जा रहे हैं जबकि केरल के अन्य मंदिरों का संचालन सरकारी देवस्वम बोर्डों द्वारा किया जाता है।

Kerala Police is trapped in the administration of Bhadrakali temple, there is a protest in the state | केरल पुलिस भद्रकाली मंदिर का प्रशासन संभालकर फंसी, राज्य में हो रहा है विरोध

केरल पुलिस भद्रकाली मंदिर का प्रशासन संभालकर फंसी, राज्य में हो रहा है विरोध

Highlightsकालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन की सेना द्वारा भद्रकाली मंदिर का संचालन किया जाता थाअंग्रेजों के वक्त में और देश आजाद होने के बाद मंदिर का प्रशासन पुलिस द्वारा देखा जाता हैयही कारण है कि कोझीकोड के भद्रकाली मंदिर को केरल में 'पुलिस मंदिर' के नाम से जाना जाता है

कोझीकोड: मुथलक्कुलम में भद्रकाली मंदिर के रखरखाव और प्रशासन में पुलिस वालों की जेब से ली जाने वाली मासिक राशि का भुगतान में हुई गड़बड़ी के कारण कोझीकोड की जिला पुलिस इन दिनों विवादों में है। एक तरफ तो केरल सरकार का दावा है कि राज्य की पुलिस पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं।

वहीं हाल में कोझीकोड ते कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा हाल में भद्रकाली मंदिर में चंदा के पैसे न जमा कराये जाने को लेकर जारी किये गये जिला पुलिस के सर्कुलर के कारण एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

दरअसल केरल के कोझीकोड जिले के मुथलक्कुलम में भद्रकाली मंदिर का पूरा  प्रशासनिक मामला जिला पुलिस देखती है। इसलिए इसे 'पुलिस मंदिर' भी कहते हैं। बीते कई दशकों से यह मंदिर लगभग पूरी तरह से जिला पुलिस कर्मियों द्वारा चलाए जा रहे हैं जबकि केरल के अन्य मंदिरों का संचालन सरकारी देवस्वम बोर्डों द्वारा किया जाता है।

लेकिन भद्रकाली मंदिर के खर्च के लिए जुटाये जाने वाली धनराशि जिले के सभी शहरी और ग्रामीण पुलिसकर्मियों के वेतन से चंदे के तौर पर लिया जाता है। वर्षों से चली आ रही इस प्रथा ने हाल ही में उस विवाद का रूप ले लिया जब 26 मार्च को केरल पुलिस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कोझीकोड पुलिस द्वारा मंदिर संचालन की आलोचना करते हुए कहा कि पुलिस बल में सभी धर्म के लोग होते हैं और यह एक गंभीर मामला है और इसके लिए व्यापक जांच होनी चाहिए।

कोझीकोड पुलिसकर्मी मुथलक्कुलम, जो इस समय भद्रकाली मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, "कोझीकोड ग्रामीण के तहत लगभग 2,300 पुलिसकर्मी और शहरी क्षेत्र में लगभग 1,400 पुलिसकर्मी हैं। सभी मिलकर बीते कई वर्षों से मंदिर के खर्च के लिए मासिक रूप से 10 रुपये का योगदान देते थे, जिसे लगभग 10 साल पहले बढ़ाकर 20 रुपये कर दी गई थी। इसका मतलब है कि हर महीने जिला पुलिस द्वारा लाखों रुपये एकत्र किए जाते हैं।”

वहीं एक अन्य पुलिसकर्मी ने कहा, "पुलिसबल के भीतर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मंदिर चलाने वाले पुलिस विभाग के शामिल होने से सहमत नहीं हैं। हालांकि इसके खिलाफ कोई सार्वजनिक रूप से आपत्ति नहीं करता क्योंकि उन्हें लगता है कि इस मुद्दे पर हंगामा करना बेहतर नहीं होगा।”

केरल पुलिस ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव सीआर बीजू ने बताया कि कोझीकोड पुलिस द्वारा दशकों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। 26 मार्च को बीजू ने कहा कि मंदिर के मामलों में कोझीकोड पुलिस की संलिप्तता अंग्रेजों के जमाने से है। बीजू के मुताबिक भद्रकाली मंदिर जमोरिनों (कालीकट के तत्कालीन शासक थे) के समय से अस्तित्व में था और इसका प्रशासन राजा की सेना द्वारा चलाया जाता था।

उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता के बाद यह मंदिर भारत संघ की सेना का हिस्सा बन गया। चूंकि यह मामला गृह मंत्रालय का विषय था, इसलिए मंदिर का प्रशासन राज्य पुलिस को सौंप दिया गया था। केरल पुलिस के कई थाना परिसर में मंदिर और मस्जिद हैं, जिनका प्रशासन इसी तरह पुलिस को हस्तांतरित कर दिया गया था।”

खबरों के मुताबिक मंदिर और पुलिस के बीच का जुड़ाव उस समय विवादों में फंस गया जब दिसंबर 2021 में जिला कोषागार ने इस बात की घोषणा कर दी कि वो कोझीकोड पुलिस विभाग के कोष से मंदिर निधि के लिए मासिक पैसा नहीं काटेगा। जिसके बाद पुलिसकर्मियों को उनका पूरा वेतन मिलने लगा और कई पुलिसकर्मियों ने जनवरी और फरवरी के महीनों में अपने अकाउंट से पैसा देने से मना कर दिया।

कोझीकोड पुलिस आयुक्त ने 22 मार्च को एक सर्कुलर जारी करके सभी स्टेशन और यूनिट प्रभारी को आदेश दिया कि 20 रुपये (जनवरी और फरवरी के बकाया सहित) मंदिर के कोष में जमा करा दें।

कोझीकोड पुलिस प्रमुख के इस सर्कुलर का कुछ पुलिसकर्मियों की ने कड़ी आलोचना की। विरोध करने वाले पुलिसकर्मियों ने कहा कि उनके वेतन से मंदिर कोष में पैसा नहीं दिया जाना चाहिए।

इस संबंध में केरल पुलिस ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव बीजू ने पुलिस द्वारा मंदिर चलाने की प्रथा की गंभीरता से जांच करने की बात करते हुए कहा, "पुलिस बल में तैनात जवान अलग-अलग धर्मों में विश्वास रखते हैं और यहां तक ​​​​कि नास्तिक भी शामिल हैं। इसलिए यह गंभीर प्रश्न खड़ा हो रहा है कि पुलिसकर्मियों के वेचन से मंदिर के लिए पैसा क्यों एकत्र किया जा रहा है ?"

बीजू ने कहा कि पुलिस बल को सही मायने में धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। इसलिए मंदिर प्रशासन के काम से पुलिस को दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मंदिर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर कोझीकोड में पट्टाला पल्ली (सैनिकों की मस्जिद) भी है, जिसे किसी दौर में पुलिस विभाग के द्वारा ही  चलाया जाता था। लेकिन बाद में इसे संबंधित धार्मिक पक्ष को सौंप दिया गया। ऐसा ही काम भद्रकाली मंदिर के मामले में भी किया जाना चाहिए।”

बीजू की बात से सहमति व्यक्त करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “कोझीकोड के भद्रकाली मंदिर को भी मालाबार देवस्वम बोर्ड या किसी अन्य धार्मिक संस्था को सौप दिया जाना चाहिए। हम किसी को मंदिर के कामकाज पर रोक लगाने के लिए नहीं कह रहे हैं। हम केवल यही चाहते हैं कि पुलिस को इससे दूर रखा जाए।"

Web Title: Kerala Police is trapped in the administration of Bhadrakali temple, there is a protest in the state

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