केरल सरकार ने दुकानों में जाने के लिए टीका प्रमाणपत्र को जरूरी बनाने के फैसले का बचाव किया

By भाषा | Published: August 6, 2021 04:35 PM2021-08-06T16:35:43+5:302021-08-06T16:35:43+5:30

Kerala government defends decision to make vaccine certificate mandatory for entering shops | केरल सरकार ने दुकानों में जाने के लिए टीका प्रमाणपत्र को जरूरी बनाने के फैसले का बचाव किया

केरल सरकार ने दुकानों में जाने के लिए टीका प्रमाणपत्र को जरूरी बनाने के फैसले का बचाव किया

तिरुवनंतपुरम, छह अगस्त केरल सरकार ने राज्य की दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में लोगों के जाने के लिए टीका प्रमाणपत्र या आरटी-पीसीआर जांच की ‘निगेटिव रिपोर्ट’ को जरूरी बनाए जाने के फैसले को शुक्रवार को उचित ठहराया और कहा कि यह उसकी जिम्मेदारी है कि कोविड-19 प्रसार के मद्देनजर लोगों की जान की समुचित रक्षा करे।

स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने राज्य विधानसभा को बताया कि सरकार ने कोरोना वायरस के और प्रसार को रोकने के उद्देश्य से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए निर्देशों पर निर्णय किया और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि उच्च जनसंख्या घनत्व, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां और बुजुर्गों की बढ़ती संख्या राज्य में फैले कोरोना वायरस के संबंध में चिंता का प्रमुख कारण है। वह शून्यकाल के दौरान बोल रही थीं, जब विपक्ष ने नए प्रतिबंधों पर स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया और आरोप लगाया कि निर्देश ‘‘अव्यावहारिक’’ हैं।

विपक्ष की आलोचना करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस पर आपत्ति करने वालों का एकमात्र उद्देश्य सरकार की छवि खराब करना है, भले ही महामारी का प्रसार तेज हो गया हो। साथ ही स्पष्ट किया कि प्रतिबंध हमेशा के लिए नहीं हैं। मंत्री ने कहा कि राज्य में अब तक 34 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं और 17,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।

स्थगन नोटिस देने वाले के. बाबू (कांग्रेस) ने कहा कि अगर नया आदेश लागू होता है, तो बुजुर्ग लोग घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने घरों से बाहर निकलने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में टीके लेने वालों में अधिकांश बुजुर्ग हैं और राज्य में अब तक केवल 28 प्रतिशत युवाओं को ही कोविड-19 रोधी टीके लगे हैं। विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने कोविड-19 से ​​संबंधित नए निर्देशों पर सरकार पर हमला किया और कहा कि लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील की घोषणा करने के बाद वाम नेतृत्व वाली सरकार और प्रतिबंध लगाकर लोगों का मज़ाक उड़ा रही है।

यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के सदस्यों ने बाद में सदन से बहिर्गमन किया क्योंकि अध्यक्ष एम. बी. राजेश ने मंत्री के जवाब के बाद प्रस्ताव के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया। हालिया आदेश के मुताबिक दो सप्ताह पहले टीके की कम से कम एक खुराक ले चुके लोग या 72 घंटे तक की कोविड-19 की निगेटिव जांच रिपोर्ट या एक महीने पहले संक्रमित होने की रिपोर्ट वाले लोगों (कर्मचारियों, आगंतुकों) को दुकानों, बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में जाने की इजाजत होगी।

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