कश्मीर: तीन दिन से लापता सेना के जवान जावेद वानी का नहीं मिला सुराग, परिजनों को चिंता पहले अगवा सैनिकों की तरह न हो हश्र
By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 1, 2023 03:17 PM2023-08-01T15:17:04+5:302023-08-01T15:20:51+5:30
कश्मीर के कुलगाम इलाके से तीन दिन पहले लापता हुए सेना जवान जावेद अहमद वानी का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। सेना लगातार वानी की तलाशी अभियान में लगी हुई है।
जम्मू: कश्मीर के कुलगाम इलाके से तीन दिन पहले लापता हुए सेना जवान जावेद अहमद वानी का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। सेना लगातार वानी की तलाशी अभियान में लगी हुई है। जानकारी के मुताबिक सेना की ओर से अभी तक जवान जावेद अहमद वानी की कोई खबर न मिलने के कारण उनकी मां का रो-रो कर बुरा हाल है।
लापता हुए जवान वानी के परिजनों ने इस बात की आशंका जताई है कि उसका भी हश्र पहले लापता हुए जवानों की तरह न हो, जिनकी आतंकियों ने हत्या कर दी थी। बताया जा रहा है कि सेना का जवान जावेद वानी लेह में तैनात था और ईद की छुट्टी पर कश्मीर के कुलगाम स्थित अपने घर आया तो 30 जुलाई को उसका कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया।
लेकिन घाटी में सक्रिय किसी भी आतंकी गुट ने अब तक जवान के अपहरण की कोई जिम्मेदारी नहीं ली है। इस कारण सेना के अधिकारी असमंजस की स्थिति हैं। सेना की माने तो लापता वानी की कार से खून के धब्बे मिले थे। इस संबंध में पुलिस का कहना है कि यह खून शायद उसके द्वारा अपने अपहरण का विरोध करते हुए चोट लगने से बहा होगा।
बीते तीन दिनों से चल रही वानी की तलाश में सैंकड़ों सैनिक और डाग स्वाड के अतिरिक्त ड्रोन भी तलाश में लगाए गये हैं पर किसी को अभी तक कामयाबी नहीं मिली है। समय के बितने के साथ-साथ तरह-तरह की आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं। यह आशंकाएं इसलिए भी बढ़ी हैं क्योंकि पिछले कुछ सालों में आतंकियों ने छुट्टी पर आने वाले कई जवानों को अगवा करने के बाद मार डाला था और कईयों को उनके घर के बाहर बुला कर हत्या कर दी थी।
सरकार रिकार्ड के अनुसार साल 2017 में आतंकियों ने कश्मीर के पहले युवा सेनाधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज को अपहृत कर मार डाला तो उसके बाद ऐसे अपहरणों और हत्याओं का सिलसिला रूका ही नहीं। सात सालों में 6 जवानों की हत्या की जा चुकी है। इनमें वर्ष 2018 में पुंछ के औरंगजेब, वर्ष 2020 में शाकिर मल्ला, वर्ष 2022 में समीर और मुख्तार अहमद भी शामिल हैं।
हालांकि आतंकवाद के शुरूआत में आतंकियों ने वर्ष 1991 में भी सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल जीएस बाली को अपहृत कर मार डाला था, जो सबसे अधिक दिल दहलाने वाली घटना थी।