कर्नाटक हाईकोर्ट के जज ने ऑन रिकॉर्ड कहा, "मुझे ट्रांसफर की धमकी मिल रही है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 12, 2022 03:30 PM2022-07-12T15:30:57+5:302022-07-12T15:34:09+5:30
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एचपी संदेश ने पिछले हफ्ते एक मामले की सुनवाई करते हुए ओपन कोर्ट में कहा था कि उन्हें कर्नाटक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के संबंध में प्रतिकूल टिप्पणी करने के एवज में उन्हें ट्रांसफर की धमकी मिली है।
बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एचपी संदेश ने सोमवार को एक अन्य मौजूदा जज द्वारा उन्हें ट्रांसफर की धमकी को रिकॉर्ड में रखा है। जस्टिस संदेश ने पिछले हफ्ते एक मामले की सुनवाई करते हुए ओपन कोर्ट में कहा था कि उन्हें कर्नाटक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के संबंध में प्रतिकूल टिप्पणी करने के एवज में ट्रांसफर की धमकी के बारे में पता चला है, क्योंकि एसीबी के एडीजीपी ने जज संदेश की प्रतिकूल टिप्पणी पर नाखुशी जताई थी।
11 जुलाई को कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एचपी सन्देश ने तबादले को लेकर मिल रही धमकियों की आधिकारिक शिकायत की है। जस्टिस सन्देश के अनुसार एसीबी के एडीजीपी हाईकोर्ट के एक फैसले से नाराज थे। इस कारण उन्होंने परोक्ष तौर पर जस्टिस संदेश को ट्रांफसर की धमकी दी। वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक हरनहल्ली ने सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के लिए स्पेशल लीव पीटिशन (एमएलपी) दायर की थी, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
वहीं बीते 4 जुलाई को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भी जस्टिस संदेश की प्रतिकूल टिप्पणी को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पीटिशन दायर की।
जस्टिस संदेश ने कहा, "जब इस मामले की सुनवाई 29-06-2022 को हुई और इस अदालत ने असली आरोपी को पकड़ने में एसीबी के प्रति प्रतिकूल टिप्पणी की और वास्तविक दोषियों को लाने में एसीबी को 4-7-2022 तक के लिए स्टे दे दिया।
जस्टिस संदेश ने कहा कि इस बीच हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट और उनकी विदाई के लिए 01-07-2022 को रात्रिभोज की व्यवस्था की गई थी। उस समय मेरे बगल में बैठे एक जज ने मुझे बताया कि उन्हें दिल्ली से एक कॉल आई थी। उन्होंने कहा कि उस शख्स ने दिल्ली से फोन किया और मेरे बारे में पूछाताछ की। इसके साथ ही जज ने यह भी कहा कि एबीसी के एडीजीपी उत्तर भारत से हैं और ताकतवर हैं। उन्होंने बातचीत में किसी जज के ट्रांसफर का उदाहरण भी दिया।
जस्टिस संदेश ने सोमवार के आदेश में एसीबी के एडीजीपी के खिलाफ की गई टिप्पणी उनके सर्विस रिकॉर्ड में भी जुड़ गया है। अदालत ने कहा कि एसीबी के प्रमुख एडीजीपी सीमांत कुमार सिंह और एसीबी द्वारा दायर रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ जांच को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए उत्साह और रुचि की कमी थी।
जस्टिस संदेश एक उप तहसीलदार की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जो बेंगलुरु शहरी उपायुक्त कार्यालय में कार्यरत थे। इस याचिका पर सुनवाई के बाद मामले में तत्कालीन डीसी को भी गिरफ्तार किया गया है। वहीं जस्टिस संदेश द्वारा एडीजीपी सीमांत कुमार सिंह के खिलाफ की गई टिप्पणी भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
एडीजीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके जज द्वारा अपने उपर और एसीबी के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणी को हटाने की मांग की है। जस्टिस संदेश ने एसीबी के एडीजीपी सिंह को "दागी अधिकारी" करार दिया। इसके साथ ही जज संदेश ने भ्रष्टाचार के मामलों में दर्ज एबीसी की रिपोर्ट के रिकॉर्ड के अलावा सिंह के सेवा रिकॉर्ड और उनके खिलाफ खनन रिश्वत मामले का विवरण भी मांगा था।
इसके साथ ही जस्टिस संदेश ने एडीजीपी सिंह से कहा, "आप पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। अगर आपको लगता है कि मैं गलत हूं, तो जांच होने दीजिए।" जस्टिस संदेश ने सोमवार के आदेश में राज्य को यह आदेश भी दिया कि एसीबी जैसी भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों में दागी अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करें। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)