सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में अब दो महिला जज
By भाषा | Published: April 26, 2019 09:50 AM2019-04-26T09:50:21+5:302019-04-26T09:50:21+5:30
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक जांच समिति की नयी सदस्य के रूप में न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा को नियुक्त किया गया।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक जांच समिति की नयी सदस्य के रूप में बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा को नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति एन वी रमण के इस समिति से हटने के बाद न्यायमूर्ति मल्होत्रा की नियुक्ति हुई है। जांच समिति की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति एस ए बोबडे ने न्यायमूर्ति मल्होत्रा को समिति में नियुक्त किया है।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी समिति का हिस्सा हैं। न्यायमूर्ति बोबडे सीजेआई के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति बोबडे ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘मुझे समिति को गठित करने या पुनर्गठित करने तथा जांच करने की शक्तियां दी गई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक नयी सदस्य को शामिल किया और यह इसे मंजूरी के लिए पूर्ण न्यायालय को भेजा जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि समिति की पहली बैठक कार्यक्रम के मुताबिक शुक्रवार को होगी। पूर्व महिला कर्मचारी को मंगलवार को नोटिस भेजा गया था और नया नोटिस भेजे जाने की कोई जरूरत नहीं है। यह घटनाक्रम काफी मायने रखता है। दरअसल, शीर्ष न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी ने बुधवार को समिति को एक पत्र लिख कर न्यायमूर्ति रमण को इसमें शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई थी। इसके पीछे उन्होंने यह आधार बताया था कि न्यायमूर्ति रमण सीजेआई के मित्र हैं और उनके घर पर नियमित रूप से आते जाते हैं।
न्यायमूर्ति बोबडे को लिखे पत्र में पूर्व कर्मचारी ने समिति में सिर्फ एक महिला सदस्य (न्यायमूर्ति बनर्जी) के होने पर भी सवाल खड़े किए थे। उसके मुताबिक यह विशाखा दिशानिर्देशों के मुताबिक नहीं था। इसबीच, आज दिन में न्यायमूर्ति रमण ने न्यायमूर्ति बोबडे को एक पत्र लिख कर समिति से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने अपने खिलाफ महिला द्वारा दिए गए आधार (सीजेआई का मित्र और परिवार के सदस्य जैसा होने संबंधी) को बेबुनियाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि वह इसे सिरे से खारिज करते हैं।