जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बने भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति भवन में द्रौपदी मूर्मु ने दिलाई शपथ

By अनिल शर्मा | Updated: November 9, 2022 10:38 IST2022-11-09T10:27:13+5:302022-11-09T10:38:03+5:30

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में अवकाशग्रहण करते हैं। वह न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला सीजेआई नियुक्त किया था।

Justice DY Chandrachud becomes 50th Chief Justice of India takes oath in Rashtrapati Bhavan | जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बने भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति भवन में द्रौपदी मूर्मु ने दिलाई शपथ

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बने भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति भवन में द्रौपदी मूर्मु ने दिलाई शपथ

Highlightsन्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गये थे।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।

नयी दिल्लीः  उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने बुधवार को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यहां राष्ट्रपति भवन में उन्हें देश के 50वें सीजेआई पद की शपथ दिलायी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का स्थान लिया जो 9 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में अवकाशग्रहण करते हैं। वह न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला सीजेआई नियुक्त किया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 11 नवंबर 1959 को पैदा हुए और 13 मई 2016 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गये थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठों का हिस्सा रहे हैं।

इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। उसके बाद उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को जून 1998 में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था और वह उसी वर्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए। राष्ट्रीय राजधानी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के उन्होंने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया और अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उच्चतम न्यायालय के पवित्र गलियारों से बेहद अच्छी तरह वाकिफ हैं, जहां उनके पिता लगभग सात साल और चार महीने तक प्रधान न्यायाधीश रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी सीजेआई का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक प्रधान न्यायाधीश रहे।

Web Title: Justice DY Chandrachud becomes 50th Chief Justice of India takes oath in Rashtrapati Bhavan

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