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उच्च न्यायालय ने पत्रकार जे डे हत्या मामले में पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

By भाषा | Updated: August 27, 2019 17:13 IST

वोरा और जोसेफ को बरी करने के फैसले को सीबीआई ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सीबीआई ने आरोपपत्र में दावा किया था कि वोरा ने पेशेवर रंजिश के चलते डे के खिलाफ राजन को शिकायत की थी। डे मुंबई से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी अखबार ‘मिड डे’ में काम करते थे। मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने 11 जून 2011 को उपनगरीय पोवई में डे(56) की गोली मार कर हत्या कर दी थी।

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ठळक मुद्देअभियोजन के मुताबिक हत्या को गैंगस्टर के इशारे पर अंजाम दिया गया था।पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इस बारे में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है जो यह प्रदर्शित करता हो कि आरोपी (वोरा) को अपराध के बारे में कोई जानकारी थी

बंबई उच्च न्यायालय ने पत्रकार जे डे हत्या मामले में पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी करने के विशेष सीबीआई अदालत के 2018 के फैसले को मंगलवार को बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एस के शिंदे की पीठ ने कहा कि अभियोजन एजेंसी, सीबीआई 2011 के इस हत्याकांड से वोरा को जोड़ने के लिए कोई ठोस साक्ष्य मुहैया करने में नाकाम रही है। विशेष सीबीआई अदालत ने 2018 में गैंगस्टर छोटा राजन और आठ अन्य लोगों को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया था लेकिन वोरा तथा एक अन्य व्यक्ति पॉलसन जोसेफ को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था।

वोरा और जोसेफ को बरी करने के फैसले को सीबीआई ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सीबीआई ने आरोपपत्र में दावा किया था कि वोरा ने पेशेवर रंजिश के चलते डे के खिलाफ राजन को शिकायत की थी। डे मुंबई से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी अखबार ‘मिड डे’ में काम करते थे। मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने 11 जून 2011 को उपनगरीय पोवई में डे(56) की गोली मार कर हत्या कर दी थी।

अभियोजन के मुताबिक हत्या को गैंगस्टर के इशारे पर अंजाम दिया गया था। पीठ ने मंगलवार को कहा कि सीबीआई ने अपना मामला मुख्य रूप से गैंगस्टर द्वारा किये गए फोन कॉल के आधार पर बनाया था। लेकिन इनमें से किसी भी फोन कॉल से यह स्थापित नहीं हुआ कि हत्या वोरा के कहने पर की गई।

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इस बारे में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है जो यह प्रदर्शित करता हो कि आरोपी (वोरा) को अपराध के बारे में कोई जानकारी थी, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि डे की हत्या की साजिश में वोरा की सांठगांठ थी।’’ जोसेफ को बरी किये जाने के खिलाफ अपील की सुनवाई उच्च न्यायालय में लंबित है।

इंडोनेशिया में गिरफ्तार होने और अक्टूबर 2015 में भारत लाए जाने के बाद से राजन फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद है।

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