JNU Violence: क्राइम ब्रांच की टीम ने की व्हाट्सएप ग्रुप में 37 लोगों की पहचान, हिंसा में 10 बाहरी लोग थे शामिल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 11, 2020 12:24 PM2020-01-11T12:24:02+5:302020-01-11T12:24:02+5:30

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ ने कहा है कि वह कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाए जाने की अपनी मांग पर कायम है लेकिन फीस वृद्धि के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन को वापस लेना है या नहीं इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा।

JNU Violence: Crime Branch team identifies 37 people in WhatsApp group, 10 outsiders involved in violence | JNU Violence: क्राइम ब्रांच की टीम ने की व्हाट्सएप ग्रुप में 37 लोगों की पहचान, हिंसा में 10 बाहरी लोग थे शामिल

इसके तहत जेएनयू के  सिक्योरिटी गार्ड को भी शक के घेरे में रखा गया है।

HighlightsJNU हिंसा मामले में ' 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप की पहचान की थी। दोनों ग्रुप लेफ्ट विंग और राइट विंग ने हिंसा में बाहरी लोगों की मदद ली।

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविध्यालय (JNU) हिंसा मामले में ' 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' (Unity Against Left) नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप की पहचान की थी। इस ग्रुप में कुल 60 मेंबर थे। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस ग्रुप के 37 लोगों की पहचान कर ली है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस ग्रुप में 10 बाहरी लोग भी शामिल थे, जिन्होंने हिंसा को अंजाम दिया है। इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि दोनों ग्रुप लेफ्ट विंग और राइट विंग ने हिंसा में बाहरी लोगों की मदद ली। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि जेएनयू के छात्रों ने ही बाहरी लोगों की कैंपस में एंट्री करवाई थी। इसके तहत जेएनयू के  सिक्योरिटी गार्ड को भी शक के घेरे में रखा गया है। गौरतलब है कि पांच जनवरी को कुछ नकाबपोश लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था। 

उठ रही है कुलपति के इस्तीफे की मांग 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ ने कहा है कि वह कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाए जाने की अपनी मांग पर कायम है लेकिन फीस वृद्धि के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन को वापस लेना है या नहीं इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा। छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात के बाद यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रसंघ ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शुरू की गई प्रॉक्टोरियल जांच में मंत्रालय से दखल की मांग की है। उन्होंने कहा, “जेएनयू के कुलपति के इस्तीफे की हमारी मांग कायम है। हम सलाहकारों और पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाएंगे और फैसला करेंगे कि प्रदर्शन वापस लेना है या नहीं। हमनें अपनी बात रख दी है और अंतिम फैसले के लिये मंत्रालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।”

नौ छात्रों की पहचान, घोष सहित सात छात्र वाम संगठनों के

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में हिंसा के संबंध में नौ छात्रों की पहचान संदिग्ध के रूप में की है जिनमें से विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष सहित सात छात्र वाम संगठनों से जुड़े हैं। हालांकि, इसने छात्रों और शिक्षकों पर हुए नकाबपोश लोगों के हमले को लेकर अब तक किसी समूह का नाम नहीं लिया है जिसमें 36 लोग घायल हो गए थे। पुलिस की प्रारंभिक जांच और विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा नौ संदिग्धों की तस्वीरें जारी किए जाने पर तीन केंद्रीय मंत्रियों-प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी ने कहा कि पुलिस द्वारा जुटाए गए सबूतों से वाम संगठनों के इरादों का खुलासा हो गया है। 

वहीं, वाम नेताओं ने दिल्ली पुलिस पर सरकार की कठपुतली होने का आरोप लगाया और कहा कि अब भी यह प्रश्न बना हुआ है कि रविवार को जेएनयू के साबरमती हॉस्टल में हिंसा करने वाले नकाबपोश कौन थे। पुलिस ने यह भी दावा किया कि पांच जनवरी की हिंसा ऑनलइन पंजीकरण प्रक्रिया से जुड़ी थी और जेएनयू में एक जनवरी से ही तनाव था। एसआईटी के प्रमुख, पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) जॉय टिर्की ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि एसएफआई, आइसा, डीएसएफ और एआईएसएफ से जुड़े छात्रों ने हाल में शीतकालीन सत्र के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होने पर हंगामा काटा था और छात्रों को डराया था। जिन लोगों की संदिग्ध के रूप में पहचान हुई है, उनमें वाम संगठनों से जुड़े डोलन सामंता, प्रिय रंजन, सुचेता तालुकदार, आइशी घोष, भास्कर विजय मेच, चुनचुन कुमार (पूर्व छात्र) और पंकज मिश्रा शामिल हैं। 

अन्य दो संदिग्धों की पहचान विकास पटेल और योगेंद्र भारद्वाज के रूप में हुई है जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हैं। हालांकि, किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है। टिर्की ने कहा कि सभी संदिग्धों को नोटिस भेजे जाएंगे। मीडिया ब्रीफिंग के बाद उन्होंने कोई सवाल नहीं लिया। अधिकारी ने कहा कि घोष और आठ अन्य पांच जनवरी को पेरियार हॉस्टल में हुई हिंसा में शामिल थे। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ बना है। जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने दिल्ली पुलिस पर हिंसा को ‘‘कमतर’’ कने का आरोप लगाया और कहा कि यह व्यथित करने वाला है। कांग्रेस ने भी दिल्ली पुलिस पर हमला बोला और कहा कि स्पष्ट है कि वह सरकार के प्रभाव में है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हिंसा में जेएनयू छात्रों की संलिप्तता दुर्भाग्यपूर्ण है। 

आइशी घोष आरोपों को किया खारिज

वाम संगठनों से जुड़े छात्रों पर आरोपों को खारिज करते हुए जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। हिंसा में घोष भी घायल हुई थीं। उन्होंने कहा कि उनके पास भी इस बात के सबूत हैं कि उन पर किस तरह हमला हुआ। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात के बाद घोष ने कहा कि वह कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाने की मांग पर अब भी कायम हैं। टिर्की ने स्वीकार किया कि सीसीटीवी फुटेज की कमी जांच में बड़ी बाधा थी। यह इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि वाई फाई प्रणाली खराब कर दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि क्योंकि हॉस्टल के कमरों को विशेष तौर पर निशाना बनाया गया, इसलिए भीतरी व्यक्ति का हाथ होने का संकेत मिलता है। 

Web Title: JNU Violence: Crime Branch team identifies 37 people in WhatsApp group, 10 outsiders involved in violence

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