झारखंड में सियासी हलचल तेज, सीएम सोरेन मुसीबत में, विधानसभा सदस्यता पर आयोग की तलवार लटकी, जानें आखिर क्या है मामला
By एस पी सिन्हा | Published: August 25, 2022 06:50 PM2022-08-25T18:50:18+5:302022-08-25T18:51:53+5:30
निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यपाल को हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भेजने के बाद झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है।
रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर आयोग की तलवार लटक रही है। कभी और किसी भी वक्त उनकी सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी की जा सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लाभ के पद के आरोप पर निर्वाचन आयोग ने राज्यपाल को अपनी राय भेजी है।
ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी अब खतरे में दिख रही है। बताया जा रहा कि राज्यपाल रमेश बैस चुनाव आयोग के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। संभव है कि शीघ्र ही इस फैसले से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत करा दिया जाएगा। उधर, निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यपाल को हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भेजने के बाद झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है।
Hemant Soren dismisses receiving any ECI reports
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राज्यपाल के फैसले से पहले झारखंड के कई मंत्री और विधायकों के साथ एडवोकेट जनरल राजीव रंजन मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच गए। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि हेमंत सोरेन की कुर्सी जाते ही झारखंड में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो सकती है। वहीं सदस्यता रद्द करने की खबरों के बीच मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान सामने आया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि इसको लेकर ईसीओ या राज्यपाल की तरफ से से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। इसबीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में देख झामुमो ने अपने सभी विधायकों की बैठक शुरू कर दी है। यह बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर हुई। इसमें आगे की रणनीति पर गहन मंथन किया गया।
उधर, कांग्रेस मुख्यालय में भी पार्टी विधायकों से विचार-विमर्श हो गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि हर हाल में कांग्रेस झामुमो के साथ है। महागठबंधन किसी सूरत में नहीं टूटेगा। कांग्रेस का समर्थन जारी रहेगा। वहीं, निर्वाचन आयोग की राय पर हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने और नहीं जाने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने-सामने हैं।
पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा कि अति विश्वस्त सूत्रों के अनुसार निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को अयोग्य करार दिया है। राजभवन से इसकी अधिसूचना जारी होते ही झारखंड के मुख्यमंत्री को त्याग पत्र देना होगा या माननीय न्यायालय से इस अधिसूचना पर स्थगन आदेश प्राप्त करना होगा।
जबकि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर लिखा है कि आरएसएस के संस्कारों ने मुझे बड़ा किया। मेरा परिवार इमरजेंसी में जेल गया। भाजपा जैसी पार्टी ने मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता को सांसद बनाया, जिसके नेतृत्वकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमें गर्व है। मैंने पहले ही घोषणा थी कि अगस्त पार नहीं होगा, वहीं हुआ। भारत निर्वाचन आयोग का पत्र राज्यपाल रमेश बैस को पहुंच गया है।
इसबीच, निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्रकारों ने पूछा कि क्या आप अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हैं? इस पर हेमंत सोरेन ने कहा कि आग से तो हम हमेशा खेलते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा के नेताओं, जिनमें एक सांसद और उनकी कठपुतली पत्रकार बिरादरी ने खुद से निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है, जो अभी सीलबंद है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि भाजपा मुख्यालय ने जिस शर्मनाक तरीके से सरकारी संस्थाओं पर कब्जा जमा लिया है, भारत के लोकतंत्र में ऐसा कभी नहीं देखा गया।
उधर, झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि निर्वाचन आयोग जो भी निर्णय देगा, उस पर हमारे पास कई विकल्प उपलब्ध हैं। आधिकारिक तौर पर चुनाव आयोग का निर्णय आने दीजिए, उसके बाद हम हर सवाल का जवाब देंगे। भट्टाचार्य ने कहा है कि हेमंत सोरेन की सरकार को कोई खतरा नहीं है। वर्ष 2024 तक झामुमो की सरकार चलेगी। बड़े मजे में चलेगी। हम अपने वादे भी पूरे करेंगे।
उल्लेखनीय है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने विभागीय मंत्री रहते हुए अपने नाम से खनन लीज आवंटित करा लिया है। रांची के अनगड़ा प्रखंड में 88 डेसमिल पत्थर खदान खनन की लीज से जुड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री और खनन मंत्री का पद संभालते हुए अपने नाम लीज आवंटित किया।
वहीं हेमंत सोरेन की दलील थी कि यह लीज उन्हें 14 साल पहले 17 मई 2008 को 10 साल के लिए मिली थी। 2018 में इसे रिन्यू नहीं किया गया। फिर 2021 में लीज को रिन्यू किया गया। लेकिन 4 फरवरी तक प्रशासन ने खनन की अनुमति नहीं दी तो उन्होंने लीज सरेंडर कर दिया।