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आर्टिकल 370 को हटाये जाने के बाद अब सभी की नजरें सीएम नीतीश कुमार के अगले कदम पर, JDU ने बताया काला दिन

By एस पी सिन्हा | Updated: August 5, 2019 16:14 IST

जम्मू-कश्मीर पर केंद्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म करने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश कर दिया।

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ठळक मुद्देबिहार में उद्योग मंत्री और जदयू नेता श्याम रजक ने खुलकर जम्मू-कश्मीर विधेयक का विरोध किया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अनुच्छेद-370 के मुताबिक, राष्ट्रपति के पब्लिक नोटिस से इसे हटाया जा सकता है और उसी का प्रस्ताव रखा गया है, इसे संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में लागू आर्टिकल 370 को हटाये जाने के बाद अब सभी की नजरें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अगले कदमों की ओर टिक गई है. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने इसका विरोध किया है. भाजपा की सबसे करीबी दल जदयू ने ही इसका जोरदार विरोध किया है. जदयू ने इसे देश के लिए काला दिन बताया है. साथ ही कहा है कि यह लोकतंत्र की हत्या जैसा है.

बिहार में उद्योग मंत्री और जदयू नेता श्याम रजक ने खुलकर जम्मू-कश्मीर विधेयक का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का प्रस्ताव का हम पूरी तरह से विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि यह देश के लिए काला दिन है. श्याम रजक ने भाजपा के इस प्रस्ताव को लोकतंत्र की हत्या की संज्ञा दी है. उन्होंने कहा कि जदयू ने भाजपा के किसी भी विवादस्पद मामलों में साथ नहीं दिया है. इसलिए इसपर भी उनकी पार्टी का फैसला अडिग है. वहीं, जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने भी कहा है कि पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार राम मनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडीस की परंपरा को आगे बढा रहे हैं. इसलिए राज्यसभा में विधेयक का समर्थन हम नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जॉर्ज फर्नांडीस ने आर्टिकल 370 का समर्थन किया था. इसलिए हम इसका विरोध करेंगे.

वहीं, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर एक संवेदनशील राज्य है. इसे संविधान के जरिए कुछ रियायत हासिल है, लिहाजा इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को राजधर्म निभाना चाहिए. कश्मीर को लोगों को ऐसा नहीं लगे कि उसके साथ नाइंसाफी हो रहा है. उन्हें ऐसा नहीं लगे कि उनके पूर्वजों ने कश्मीर में रहने का फैसला गलत था. लिहाजा केन्द्र को सोच समझकर फैसले करने चाहिए. अब जबकि केन्द्र सरकार ने फैसला ले लिया है तो नीतीश कुमार को अब इसपर विचार करना चाहिये कि उनकी विचारधारा क्या है? उन्हें अपनी स्थिती भी स्पष्ट करनी चाहिये.

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