Jammu & Kashmir: 50 साल का रिकार्ड, 2024 सबसे सूखा वर्ष?, आखिर क्या है कारण, जानिए सबकुछ
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 11, 2025 01:42 PM2025-01-11T13:42:05+5:302025-01-11T13:43:51+5:30
Jammu & Kashmir’s Winter: 2023 में 1146.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 7% की कमी को दर्शाता है, जबकि 2022 में 1040.4 मिमी बारिश हुई, जो 16% की कमी को दर्शाता है।
Jammu & Kashmir’s Winter: आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पिछले पांच लगातार वर्षों से जम्मू कश्मीर में अभूतपूर्व रूप से कम बारिश हुई है और 2024 पिछले 50 वर्षों में सबसे सूखा वर्ष रहा है जो अपने आपमें एक रिकार्ड है। स्वतंत्र मौसम पूर्वानुमानकर्ता फैजान आरिफ केंग द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, 2024 में पांच दशकों में सबसे कम वर्षा हुई और यह 1974 में दर्ज की गई 802.5 मिमी की पिछली न्यूनतम वर्षा के करीब पहुंच गई, जो पिछले 50 वर्षों में सबसे सूखा वर्ष था। वे बताते थे कि 2024 में सामान्य वार्षिक औसत 1232.3 मिमी के मुकाबले वर्षा का स्तर गिरकर केवल 870.9 मिमी रह गया - जो 29% की महत्वपूर्ण कमी है। फैजान के अनुसार, 2024 केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य से कम वर्षा का लगातार पांचवां वर्ष था।
നിറയെ ഐസ് പാളികൾ; തണുത്തുറഞ്ഞ് കശ്മീരിലെ ദാല് തടാകം#DalLake#Kashmir#JammuKashmir#Snowfalpic.twitter.com/i6MqMvX01O
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2023 में 1146.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 7% की कमी को दर्शाता है, जबकि 2022 में 1040.4 मिमी बारिश हुई, जो 16% की कमी को दर्शाता है। उनके द्वारा मुहैया करवाया गया डाटा कहता था कि वर्ष 2021 में 892.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 28% की कमी को दर्शाता है, और 2020 में 20% की कमी के साथ 982.2 मिमी वर्षा हुई।
VIDEO | Jammu and Kashmir: Srinagar's Dal Lake freezes as temperature drops below zero degrees with the region witnessing the 'Chillai Kalan', the 40-day harshest winter spell.
— Press Trust of India (@PTI_News) January 11, 2025
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VIDEO | Jammu and Kashmir: Srinagar's Dal Lake freezes as temperature drops below zero degrees with the region witnessing the 'Chillai Kalan' - the 40-day harshest winter spell.
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केंग के बकौल, क्षेत्र में वर्षा का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। 2024 के लिए मासिक डेटा साझा करते हुए, केंग बताते थे कि जनवरी में 91% की भारी कमी दर्ज की गई, जबकि फरवरी और मार्च में क्रमशः 17% और 16% की कमी देखी गई। हालांकि अप्रैल में 48% अधिशेष के साथ कुछ राहत मिली, लेकिन यह एकमात्र महीना था जिसमें अधिक वर्षा देखी गई।
वे कहते थे कि मई से घाटा फिर से शुरू हो गया, मई में 67%, जून में 38%, जुलाई में 36% और अगस्त में 2% की कमी रही। केंग का कहना था कि वर्ष के अंत में स्थिति और खराब हो गई, सितंबर में 41%, अक्टूबर में 74%, नवंबर में 69% और दिसंबर में 58% की कमी आई।
इस तरह की कमी का असर कृषि, जलविद्युत और पीने के उद्देश्यों के लिए पानी की कम उपलब्धता के रूप में पहले से ही दिखाई दे रहा है, जिससे नीति निर्माताओं और निवासियों के लिए चिंता बढ़ गई है।
घटती बारिश ने जम्मू और कश्मीर में लंबे समय तक सूखे के प्रभावों को कम करने के लिए जलवायु अनुकूलन उपायों और व्यापक जल प्रबंधन रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।
सभी जानते हैं कि कश्मीर की जीवन रेखा झेलम नदी इस मौसम में अपने सबसे कम जल स्तर में से एक को देख रही है, जिससे क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के बारे में चिंता बढ़ गई है। संगम बिंदु पर झेलम वर्तमान में -0.75 फीट के चिंताजनक स्तर पर बह रही है, जबकि राम मुंशी बाग में जल स्तर 3.73 फीट और अशाम में 1.08 फीट है।