जम्मू कश्मीर: नेशनल कांफ्रेंस का भविष्य उज्जवल, आगामी विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती है कांग्रेस की मुश्किलें

By सुरेश डुग्गर | Published: May 24, 2019 05:03 PM2019-05-24T17:03:51+5:302019-05-24T17:03:51+5:30

2014 में पीडीपी और भाजपा को तीन-तीन सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार नेकां व भाजपा को तीन-तीन सीटें हासिल हुई हैं। लद्दाख में कांग्रेस की हार का एक और कारण यह भी बना कि पार्टी ने पूर्व विधायक असगर को टिकट नहीं दिया। करबलाई निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे।

Jammu Kashmir: National Conference future will be bright, difficulties of Congress in the coming assembly elections | जम्मू कश्मीर: नेशनल कांफ्रेंस का भविष्य उज्जवल, आगामी विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती है कांग्रेस की मुश्किलें

जम्मू कश्मीर: नेशनल कांफ्रेंस का भविष्य उज्जवल, आगामी विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती है कांग्रेस की मुश्किलें

लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस का भविष्य उज्जवल दिख रहा है जिसने अब उम्मीद जताई है कि राज्य में अगली राज्य सरकार उसी की होगी। पर कांग्रेस के लिए मुसीबत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि लगातार दूसरे लोकसभा चुनावों में राज्य की जनता ने उसे नकार दिया है।

जम्मू संभाग में मोदी लहर के बीच कांग्रेस फिर खाता नहीं खोल पाई। संसदीय चुनाव में पार्टी को नेकां का समर्थन भी काम नहीं आया। वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत सकी थी। कांग्रेस ने जम्मू-पुंछ और ऊधमपुर-डोडा पर नेकां के साथ गठबंधन किया था, लेकिन गठजोड़ काम नहीं आया।

दोनों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा उम्मीदवारों से लाखों मतों के अंतर से हारे। जम्मू संभाग की दो सीटों पर पीडीपी ने कोई उम्मीदवार न उतार कर अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन लोगों ने कांग्रेस को नकार दिया। कांग्रेस की उदासीनता, विश्वास की कमी, जमीनी सतह पर कार्यकर्ताओं की कमी, कमजोर नेतृत्व और प्रचार ऐसे कई कारण थे, जो पार्टी को ले डूबे।

2014 में पीडीपी और भाजपा को तीन-तीन सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार नेकां व भाजपा को तीन-तीन सीटें हासिल हुई हैं। लद्दाख में कांग्रेस की हार का एक और कारण यह भी बना कि पार्टी ने पूर्व विधायक असगर को टिकट नहीं दिया। करबलाई निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे।

वह जीते तो नहीं, लेकिन वोटों का विभाजन होने से कांग्रेस को नुकसान जरूर पहुंचा गए। लद्दाख में पार्टी उम्मीदवार रिगजिन के समर्थन में स्टार प्रचारक तो दूर पार्टी का कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं पहुंचा। जम्मू-पुंछ पर कांग्रेस उम्मीदवार रमण भल्ला के पक्ष में प्रचार के लिए गुलाम नबी आजाद ही आए। ऊधमपुर-डोडा सीट पर विक्रमादित्य सिंह के समर्थन में डा कर्ण सिंह ने काफी प्रचार किया। रिश्तेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रचार के लिए आए थे।

यह सच है कि संसदीय चुनाव में राज्य में कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में चुनौती बनेगा। संसदीय चुनाव का असर विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। विधानसभा चुनाव किसी भी समय हो सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए जमीनी स्तर पर आधार मजबूत करना आसान नहीं होगा।

लगातार हार से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरना स्वाभाविक ही है। संसदीय चुनाव से पहले ही वरिष्ठ नेता शामलाल शर्मा ने भाजपा का दामन थाम लिया था।

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