हुर्रियत कांफ्रेंस ने कहा-सरकार मीरवाइज उमर फारूक को रिहा करने के फैसले से पीछे हटी
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 5, 2021 18:26 IST2021-03-05T17:27:14+5:302021-03-05T18:26:38+5:30
उदारवादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने शुक्रवार को दावा किया कि जम्मू कश्मीर के अधिकारी उसके अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को एहतियाती हिरासत से रिहा करने के अपने फैसले से पीछे हट गए हैं।

प्रशासन ने माना कि फिलहाल उनके घर के बाहर अब सिर्फ वही पुलिसकर्मी तैनात हैं। (file photo)
जम्मूः उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंदी से रिहाई पर फिलहाल असमंजस बरकरार है।
प्रदेश सरकार ने इसके प्रति कल ही घोषणा कर दी थी कि उन्हें रिहा किया जा चुका है पर हुर्रियत ने एक ताजा बयान जारी कर कहा है कि उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है जिस कारण वे जामिया मस्जिद नहीं जा पाए। इतना जरूर था कि प्रशासन ने माना कि फिलहाल उनके घर के बाहर अब सिर्फ वही पुलिसकर्मी तैनात हैं जो 5 अगस्त 2019 से पूर्व उन्हें आतंकियों से बचाने के लिए नियुक्त किए गए थे।
परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर वह करीब 82 सप्ताह बाद शुक्रवार को डाउन-टाउन के नौहट्टा स्थित एतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज ए जुम्मा से पूर्व खुतबा देने की उनसे उम्मीद की जा रही थी लेकिन समाचार भिजवाए जाने तक असमंजस बरकरार था।
हालांकि मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंदी से मुक्ति को जम्मू कश्मीर में लगातार सुधरते हालात और हिंदुस्तान-पाकिस्तान में फिर से शुररू हो रहे शांति प्रयासों के मद्देनजर माना जा रहा था। पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने से पूर्व 4 अगस्त 2019 की देर रात गए एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था।
उन्हें पहले दो दिन शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एसकेआइसीसी में रखा गया था। बाद में उन्हें नगीन स्थित उनके घर में ही नजरबंद रखा गया था। प्रशासन ने नवंबर 2019 के दौरान ही उनकी नजरबंदी समाप्त कर दी थी लेकिन वह अपने घर से बाहर नहीं निकले।
उन्होंने व उनके समर्थकों ने कथित तौर पर दावा किया था कि उन्हें नजरबंद रखा गया है इसलिए वह जामिया मस्जिद में भी नहीं जा रहे हैं। दिसंबर 2019 में पुलिस ने भी एक बयान जारी कर दावा किया था कि मीरवाइज उमर फारूक पर कोई पाबंदी नहीं है। इसके बावजूद मीरवाइज घर से बाहर नहीं आए। उन्होंने अपने घर के बाहर मौजूद सुरक्षाबलों के वाहनों की मौजूदगी का तर्क देते हुए कहा था कि नजरबंदी हटाने का दावा सिर्फ दिखावा है।