जम्मू-कश्मीरः होकरसर में मेहमान परिंदों की चहचहाहट, साढ़े चार लाख प्रवासी भर रहे हैं परवाज...
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 31, 2022 03:12 PM2022-01-31T15:12:02+5:302022-01-31T15:12:52+5:30
जम्मू-कश्मीरः मेहमान पक्षी रूस, साइबेरिया, मध्य एशिया और अन्य मुल्कों से आए हैं। नवंबर से फरवरी तक चार माह की अवधि के लिए ही इन स्थानों पर ठहरते हैं।
जम्मूः राजधानी शहर श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में कश्मीर के दूसरे सबसे बड़े वेटलेंड होकरसर में आने वाले प्रवासी पक्षियों ने कोरोना के बावजूद पिछला रिकार्ड तोड़ दिया है। इस बार इस करीब 13.5 वर्ग किमी में फैले वेटलेंड में साढ़े चार लाख प्रवासी परिंदें परवाज भर रहे हैं जो पिछले साल की गिनती से दो लाख ज्यादा बताए जा रहे हैं।
कश्मीर में होकरसर, वुल्लर झील, हायगाम, मीरगुंड और शैलबुग जैसे कई ऐसे इलाके हैं जहां पर ये मेहमान पक्षी अपना डेरा डाले हुए हैं। होकसार के वन्य जीव वार्डन गुलाम मुहम्मद का कहना था कि ये मेहमान पक्षी नवंबर से फरवरी तक चार माह की अवधि के लिए ही इन स्थानों पर ठहरते हैं। इसके बाद आमतौर पर ये पक्षी अपने पुराने स्थानों की ओर लौटना शुरू कर देते हैं।
यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों में ब्राह्णी बत्तख, टफड बत्तख, गड़वाल कामन पाक हार्ड, मिलार्ड, गैरेनरी, रैड करासड कामन टीट आदि शामिल हैं। लेकिन शैलबुग वेटलेंड के आसपास के इलाकों में निर्माण गतिविधियां ज्यादा होने के कारण वहां प्रवासी पक्षियों की आमद बहुत ही कम दिखी है। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही आने वाले मेहमान प्रवासी पक्षियों की संख्या अगर कश्मीर घाटी में रिकार्ड तोड़ने लगी है तो भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित घराना वेटलेंड में इस बार भी कुछ अलग ही नजारा है। झुंड के झुंड प्रवासी पक्षियों के जमा हुए हैं।
कुछ क्षण के लिए वे हवा में उड़ान भरते हैं और फिर पुनः वहीं लौट आते हैं। उनकी चहचहाट से यह महसूस किया जा सकता है कि वे सीमा पर चल रहे युद्धविराम से सुकून पा रहे हैं। होकरसर स्थित वाइल्ड लाइफ वेटलेंड के अधिकारी गुलाम मुहम्मद के मुताबिक, इस वेटलेंड में इस बार 15 अक्तूबर से ही प्रवासी पक्षियों का आना आरंभ हो गया था।
पिछले साल करीब 2.5 लाख पक्षी आए थे और इस बार इनकी संख्या 4.5 लाख को पार कर गई है। कोरोना के प्रसार से पहले अभी तक यही होता आया था कि पक्षियों की संख्या 7 से 8 लाख को पार कर जाती थी। कश्मीर में यह वेटलेंड सबसे बड़ा माना जाता है। हालांकि इसके आसपास तीन और छोटे छोटे वेटलेंड हैं पर खाने की समस्या के कारण प्रवासी पक्षी यहीं पर डेरा जमाना अच्छा समझते हैं।
वैसे सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, यह वेटलेंड सही मायनों में करीब 14 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है पर अतिक्रमण का नतीजा यह है कि यह अब 4 से 5 वर्ग किमी के बीच ही सिमट कर रह गया है।
अधिकारी कहते थे कि पिछले कुछ समय से वन्य जीव विभाग की ओर से प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं और इन कोशिशों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
वैसे कश्मीर में पारा धीरे धीरे जमाव बिंदू तक पहुंचने लगा है और ऐसे में कश्मीर के अलग-अलग वेटलेंड पर लगभग 5-7 लाख के करीब प्रवासी पक्षी भी पहंुच चुके हैं जिन्हें कश्मीर की सर्दी कुछ ज्यादा ही भाने लगी है। ये मेहमान पक्षी रूस, साइबेरिया, मध्य एशिया और अन्य मुल्कों से आए हैं।