Jammu-Kashmir: अनुच्छेद 370 हटाने के 6 साल बाद हिंसा कम पर मौतें आज भी जारी, कश्मीर में अभी भी औसतन प्रतिदिन एक से ज्यादा मौत
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 6, 2025 09:22 IST2025-08-06T09:22:11+5:302025-08-06T09:22:18+5:30
Jammu-Kashmir: अर्थात यह अनुपात 1ः2 का रहा है। इतना जरूर था कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है।

Jammu-Kashmir: अनुच्छेद 370 हटाने के 6 साल बाद हिंसा कम पर मौतें आज भी जारी, कश्मीर में अभी भी औसतन प्रतिदिन एक से ज्यादा मौत
Jammu-Kashmir: इस महीने की पांच तारीख को कश्मीर में जिस अनुच्छेद 370 को हिंसा का प्रमुख कारण बताते हुए हटा दिया गया था उसके 6 साल बीत जाने के बाद भी कश्मीर को हिंसा से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हिंसा में कमी तो है पर आज भी कश्मीर प्रतिदिन एक से ज्यादा मौतों को देखने को मजबूर है।
इसकी पुष्टि खुद सरकारी आंकड़े करते थे। सरकारी आंकड़े बताते थे कि 2019 से लेकर 2 अगस्त 2025 तक के 5 साल के अरसे में कश्मीर ने 1466 मौतें देखी हैं।
इनमें हालांकि सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही था जिनके विरूद्ध कई तरह के आप्रेशन चला उन्हें मैदान से भाग निकलने को मजबूर किया गया लेकिन नागरिकों व सुरक्षाबलों की मौतंें भी यथावत हैं। आंकड़े कहते थे कि 976 आतंकी इस अवधि में ढेर कर दिए गए। तो इसी अवधि में 278 सुरक्षाकर्मियों को शहादत देकर इस सफलता को प्राप्त करना पड़ा।
आतंकियों द्वारा नागरिकों को मारने का सिलसिला भी यथावत जारी था। हालांकि पुलिस के दावानुसार, इस अवधि में कोई भी नागरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया के दौरान नहीं मारा गया बल्कि इन 6 सालों में जो 212 नागरिक मारे गए उन्हें आतंकियों ने ही मार डाला। इतना जरूर था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नगरिको के साथ साथ हिन्दुओं पर भी हुए हैं। जो लगातार जारी हैं। वष्र 2022 में तो पांच अगस्त की बरसी की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।
अगर इन आंकड़ों पर जाएं तो कश्मीर ने प्रतिदिन औसतन एक मौत देखी है और आतंकियों व अन्य मौतों के बीच 2:1 का अनुपात रहा है। अर्थात अगर दो आतंकी मारे गए तो एक सुरक्षाकर्मी व नागरिक भी मारा गया। पहले यह अनुपात 3: 2 का था।
जबकि इस अवधि में प्रदेश में 737 आतंकी वारदातें हुई हैं जिनमें कुल 1466 मौतें हुई हैं। अर्थात यह अनुपात 1ः2 का रहा है। इतना जरूर था कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है। अब कश्मीर हाइब्रिड आतंकियों की फौज से जूझने को मजबूर है जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं।