जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती से मिलने के लिए उनकी मां गुलशन मुफ्ती को भी अनुमति नहीं दी गई। गुलशन ने अपनी बेटी से मिलने के लिए कुछ मिनट की ही इजाजत मांगी थी लेकिन प्रशासन ने मना कर दिया।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा ने बताया, 'हमने जम्मू कश्मीर पुलिस से एक छोटी मुलाकात की दरख्वास्त की थी। हमने यहां तक कहा कि वो तलाशी भी ले सकते हैं। 21 दिन हो गए नेताओं की गिरफ्तारी को। मां-बेटी को मिलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही? इससे जमीनी हालात पर क्या असर पड़ेगा?'
महबूबा मुफ्ती समेत कश्मीर के कई बड़े नेता पांच अगस्त से नजरबंद किए गए हैं। उन्हें अलग-अलग गेस्ट हाउस में कड़े पहरे पर रखा गया है। पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को समाप्त करने और प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने का प्रस्ताव लाया गया था। तब से घाटी में हालात तनावपूर्ण हैं।
महबूबा मुफ्ती की बेटी ने अमित शाह के नाम लिखा था खुला खत
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने 16 अगस्त को एक खुले पत्र में कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से कश्मीर अंधकार की गिरफ्त में है और उन्हें लगता है कि कश्मीरियों की सुरक्षा को खतरा है। कथित रूप से इल्तिजा की ओर से लिखे गए एक खुले पत्र में कहा गया कि कानून का पालन करने वाली नागरिक होने के बावजूद उन्हें हिरासत में रखा गया और वह उम्मीद करती हैं कि अपने मौलिक अधिकार के बारे में सवाल उठाने पर उन्हें दंडित नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर अंधकार की गिरफ्त में है और मुझे आवाज उठाने वालों समेत यहां के लोगों की सुरक्षा को लेकर डर है। हम कश्मीरी पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को एकतरफा तरीके से निरस्त किए जाने के बाद से निराश हैं।’’ इल्तिजा ने कहा कि उनकी मां महबूबा समेत कई अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों को उसी दिन हिरासत में ले लिया गया और ‘‘पंगु बनाने वाला कर्फ्यू को लगे 10 लंबे पीड़ादायक दिन’’ हो चुके हैं।
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित पत्र में कहा, ‘‘सभी तरह के संचार साधनों को बंद किए जाने के कारण घाटी में भय का वातावरण है जिसके कारण पूरी आबादी असहाय हो गई है। आज जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, कश्मीर जानवरों की तरह कैद हैं और उन्हें उनके मौलिक मानवाधिकारों से वंचित रखा गया है।’’ उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वह इस पत्र को डाक के जरिए नहीं भेज सकती क्योंकि कश्मीर घाटी में डाक सेवा बंद है।
समाचार एजेंसी पीटीई-भाषा से इनपुट्स लेकर