जम्मू-कश्मीरः तीन सालों में सिर्फ 8 हजार बंकर बनकर तैयार, बढ़ती गोलाबारी के बीच एलओसी पर निजी बंकरों की मांग बढ़ी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 15, 2020 16:25 IST2020-12-15T16:23:52+5:302020-12-15T16:25:01+5:30

1999 में करगिल युद्ध के बाद से तो भूमिगत बंकर सीमांत नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश के गोलाबारी प्रभावित इलाकों में पंद्रह हजार के करीब बंकरों बनाए जाने हैं।

Jammu and Kashmir  LOC Only 8000 bunkers are ready in three years demand for private | जम्मू-कश्मीरः तीन सालों में सिर्फ 8 हजार बंकर बनकर तैयार, बढ़ती गोलाबारी के बीच एलओसी पर निजी बंकरों की मांग बढ़ी

भारी गोलाबारी की वजह से एलओसी के गांवों से लोगों का पलायन अब आम बात हो गई है। (file photo)

Highlightsजम्मू कश्मीर में 15000 के करीब निजी व सामुदायिक बंद कर बनाए जा रहे हैं। जम्मू संभाग के पुंछ और राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के करीब 7298 बंकर बनाए जा रहे हैं।

जम्मूः जम्मू-कश्मीर में एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर के इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों को पाक गोलाबारी से बचाने की खातिर जो 15000 भूमिगत बंकर बनाने की अनुमति प्रदान की गई थी, उसकी कछुआ चाल का नतीजा यह है कि तीन सालों में सिर्फ 8 हजार बंकर ही बन कर तैयार हुए हैं।

दरअसल सीजफायर के बावजूद एलओसी पर गरजते पाक तोपखानों ने सीमावासियों को मजबूर किया है कि वे निजी बंकरों को तैयार करें। गोलाबारी से होने वाली लगातार मौतों के चलते अधिक से अधिक बंकरों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

यही नहीं यह है तो हैरान करने वाली बात पर पूरी तरह से सच है कि पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी अर्थात लाइन आफ कंट्रोल से सटे गांवों में रहने वाले लाखों परिवारों को भोजन, सड़क, बिजली और पानी से अधिक जरूरत उन भूमिगत बंकरों की है, जिनमें छुप कर वे उस समय अपनी जानें बचाना चाहते हैं जब पाकिस्तानी सैनिक नागरिक ठिकानों को निशाना बना गोलों की बरसात करते हैं। जानकारी के लिए 1999 में करगिल युद्ध के बाद से तो भूमिगत बंकर सीमांत नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं।

सीमांत क्षेत्रों में जल्द बंकर बनाने की मांग जोर पकड़ रही है

एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी में लाई गई तेजी के बीच सीमांत क्षेत्रों में जल्द बंकर बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश के गोलाबारी प्रभावित इलाकों में पंद्रह हजार के करीब बंकरों बनाए जाने हैं।

इनमें से आठ हजार बंकर बन कर तैयार हैं तो वहीं सात हजार के करीब बंकर बनाया जाना बाकी। केंद्र सरकार की ओर से भी यह दवाब डाला जा रहा है कि बंकर निर्माण का काम जल्द पूरा हो। सीमांत जिलों के लोग भी मांग कर रहे हैं कि क्षेत्र में जल्द से जल्द बंद कर बनाए जाएं ताकि पाकिस्तान की गोलाबारी से जानमाल का नुकसान न हो।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ भी जोरशोर से उठाया जा रहा है

यह मुद्दा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ भी जोरशोर से उठाया जा रहा है। नवंबर महीने से पाकिस्तान की ओर से पुंछ, राजौरी जिलों में गोलाबारी में तेजी आई है। इस दौरान गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में 4 सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए हैं।

आए दिन गोलाबारी होने से दहशत का माहौल बना हुआ है। जम्मू कश्मीर में 15000 के करीब निजी व सामुदायिक बंद कर बनाए जा रहे हैं। जम्मू संभाग के पुंछ और राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के करीब 7298 बंकर बनाए जा रहे हैं।

पाक सेना की ओर से गोलाबारी के बाद एलओसी के इलाकों में घर छोड़ने के लिये मजबूर होने वाले लोगों ने अब सरकार से अपने घरों पर व्यक्तिगत बंकर बनाये जाने की मांग की है। पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली भारी गोलाबारी की वजह से एलओसी के गांवों से लोगों का पलायन अब आम बात हो गई है।

अधिकारियों का कहना था कि पाक सैनिक कभी भी दोबारा जंग बंदी तोड़ सकते हैं, इसलिए हमने ग्रामीणों की किसी भी आपात स्थिति में मदद की एक कार्य योजना तैयार की है। इसके अलावा एलओसी के साथ सटी अग्रिम नागरिक बस्तियों में सामुदायिक बंकरों का निर्माण तेज किया गया है। बारामुल्ला जिले में हमारे पास पहले ही 20 सामुदायिक बंकर हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 44 नए बंकरों का मंजूर किया है।

पुंछ के जनगढ़ निवासी प्रशोतम कुमार ने कहा कि हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण मांग यह है कि अगर हमें एलओसी पर रहना है तो सरकार को सीमा पर बसे प्रत्येक घर में बंकर बनाना चाहिए। यह एलओसी पर रहने वाले लोगों की सबसे अहम मांग है। सीमा शरणार्थी समन्वय समिति के अध्यक्ष कुमार ने अपनी मांग से कई बार केंद्र सरकार को अवगत कराया और कहा कि हमें भोजन से ज्यादा बंकर की जरूरत है।

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