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एलओसी पर गोलाबारी, भारतीय-पाक सेना में चौकिओं पर कब्जे की जंग...

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 1, 2020 16:06 IST

जम्मू-कश्मीर में सीजफायर के 17 साल पूरे हो गए है। 814 किमी लंबी एलओसी पर दोनों देश के जवान पहरा देते रहते हैं। पाक के 100 पोस्ट को  भारतीय सेना ने तोपखानों और मिसाइलों की मदद से नेस्तनाबूद किया था

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ठळक मुद्देभारतीय सेना ने टैंक भेदी मिसाइलों की मदद से उड़ा दिया था।पाक सेना भयानक सर्दी के बीच सारी एलओसी को गोलाबारी और मिसाइल हमलों से गर्माए हुए है।

जम्मूः लांचिंग पैडों में तब्दील की गई उन चौकिओं पर पाक सेना फिर से कब्जा जमाना चाहती है, जिन्हें भारतीय सेना ने पहले सर्जिकल स्ट्राइक में उड़ा दिया था और अब पाक सेना की गतिविधियां न रुकने के कारण उन्हें एक बार फिर एंटी टैंक मिसाइलों से नेस्तनाबूद किया गया है।

यही कारण है कि एक अरसे से सीजफायर के जारी रहने के बावजूद एलओसी पर होने वाली भीषण गोलाबारी के पीछे का सबसे बड़ा कारण खोई हुई उन फारवर्ड पोस्टों पर कब्जे की जंग है, जिसमें हर बार पाक सेना को मुंह की खानी पड़ रही है। सही मायने में यह जंग सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट पर हवाई हमलों के बाद से आरंभ हुई है।

रक्षा सूत्रों के बकौल, कुछ दिन पहले पल्लांवाला तथा अखनूर सेक्टर में भी पाक सेना की फारवर्ड पोस्टों पर कब्जा जमाने की कोशिशों को भारतीय सेना ने नाकाम बना दिया था। यह फारवर्ड पोस्टें एलओसी पर पाकिस्तान की ओर ही हैं और भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना ने टैंक भेदी मिसाइलों की मदद से उन्हें उड़ा दिया था।

अब पाक सेना इन चौकिओं को पुनः बनाना और कब्जाना चाहती है। पर भारतीय पक्ष ऐसा करने नहीं दे रहा। दरअसल 814 किमी लंबी एलओसी पर पाक सेना की तकरीबन 100 जिन फारवर्ड पोस्टों व बंकरों को भारतीय सेना ने तोपखानों और मिसाइलों की मदद से नेस्तनाबूद किया था वे लांचिंग पैडों के तौर पर इस्तेमाल की जा रही थीं जहां से आतंकियों को इस ओर लांच किया जा रहा था।

आतंकियों को ही नहीं बल्कि इन चौकिओं का इस्तेमाल भारतीय इलाकों मे भारतीय सेना के गश्ती दलों तथा भारतीय सेना के कुछ फारवर्ड बंकरों पर कब्जा जमाने के इरादों से बैट हमलों के लिए भी प्रयोग में लाया जा रहा था। और जब भारतीय सेना को आक्रामक रुख अपनाने का निर्देश मिला तो पाक सेना तिलमिला उठी है।

और अब परिणाम यह है कि पाक सेना चाह कर भी अभी तक अपनी खोई हुई फारवर्ड पोस्टों तथा बंकरों को वापस नहीं पा सकी है। जानकारी के लिए करगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना ने अपनी उन फारवर्ड चौकिओं तथा बंकरों को खाली ही नहीं किया जो हजारों फुट की ऊंचाई पर थे और जिन पर कब्जे की जंग ही असल में करगिल युद्ध के रूप में सामने आई थी।

ऐसे में भारतीय सेना के आक्रामक रुख का नतीजा सामने है। बिफरी और तिलमिलाई हुई पाक सेना भयानक सर्दी के बीच सारी एलओसी को गोलाबारी और मिसाइल हमलों से गर्माए हुए है जबकि सच्चाई यह है कि जबरदस्त और आक्रामक जवाबी कार्रवाई के कारण उसे भयानक क्षति के उस दौर से गुजरना पड़ रहा है जो उसे कभी युद्धों में भी नहीं उठानी पड़ी थी।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरपाकिस्तानआतंकवादीसीमा सुरक्षा बलगृह मंत्रालय
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