2017 में 126 कश्मीरी युवा हुए आतंकी संगठनों में शामिल, जानिए क्या कहते हैं अब तक के आंकड़े

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 6, 2018 08:32 PM2018-02-06T20:32:11+5:302018-02-06T20:56:58+5:30

जम्मू-कश्मीर में तेजी से युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। खुद राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस बारे में सूचित किया है।

jammu and kashmir cm mehbooba mufti present Data, 2017 saw 126 local youths joining terrorism | 2017 में 126 कश्मीरी युवा हुए आतंकी संगठनों में शामिल, जानिए क्या कहते हैं अब तक के आंकड़े

2017 में 126 कश्मीरी युवा हुए आतंकी संगठनों में शामिल, जानिए क्या कहते हैं अब तक के आंकड़े

जम्मू-कश्मीर में तेजी से युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। खुद राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस बारे में सूचित किया है। उन्होंने  मंगलवार को राज्य विधानसभा को सूचित करते हुए कहा है कि कश्मीर घाटी में साल 2017 में 126 स्थानीय युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए। वहीं, 2016 की बात करें तो  यह संख्या 88 थी। 2010 से आतंकवादी संगठनों में भर्ती किए गए युवाओं की संख्या का आंकड़ा मौजूद है।

वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर के एक लिखित प्रश्न के उत्तर में  महबूबा ने आकंड़ो को पेश किया है। उन्होंने बताया है कि साल  2015 में 66, 2016 में 88 और 2017 में 126 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं, जिसके हिसाब से हर साल आतंकी संगठनों में शामिल होने में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

क्या कहते हैं आंकड़े

पिछले साल ये बात सुर्खियों में आई थी कि विभिन्न आतंकवादी संगठनों में पिछले सात वर्षों में शामिल हुए स्थानीय युवाओं की संख्या वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा है। हांलाकि तब इस खबर को पुलिस महानिदेशक एस पी वैद ने गलत करार दिया था, लेकिन अब खुद सीएम ने भी  इस पर मुहर लगा दी है।

2017 साल मार्च में संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011, 2012 और 2013 की तुलना में वर्ष 2014 के बाद से घाटी में हथियार उठाने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं, 2010 की बात करें जब से आंकड़े पेश होना शुरू हुए हैं तब 54 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए। जिसके बाद 2011 में इसमें गिरावट आई और 23 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए और यह संख्या और कम होकर वर्ष 2012 में 21 और वर्ष 2013 में 16 रह गई। लेकिन 2014 से आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। उपलब्ध आंकड़ों की मानें तो 2014 में यह संख्या बढ़कर 53, वर्ष 2015 में और बढ़कर 66 और वर्ष 2016 में 88 हो गए।

वहीं, सुरक्षा बलों की मानें तो कश्मीर के मौजूदा समय के आतंकवादियों और 1990 के शुरूआती दशक के आतंकवादियों में काफी अंतर है, उस समय के  आंतकवादी समूहों की तुलना में इस समय के आतंकवादी वैचारिक रूप से अधिक कट्टर हैं। अब जो युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं उनकी सोच बदबादी ही है।  यह चिंता की बात है कि घाटी में युवा इस बात को जानते हुए भी आतंकवादी समूहों से जुड़ रहे हैं कि इससे उनके मारे जाने का खतरा है।

सीएम महबूबा के अनुसार दो महिलाओं समेत कुछ अलगाववादी नेताओं को लोक सुरक्षा कानून के प्रावधानों के तहत हिरासत में रखा गया ताकि उन्हें राज्य की सुरक्षा या कानून व्यवस्था बनाए रखने में किसी भी प्रकार से बाधा पहुंचाने से रोका जा सके। उनके मुताबिक 96 महिलाओं समेत 2694 लोग राज्य की विभिन्न जेलों में बंद हैं। 228 दोषी कैदियों में आठ महिलाएं शामिल हैं, इनके अलावा 88 महिलाओं समेत 2156 विचाराधीन हैं।ऐसे में देखना होगा कि सरकार किस तरह से इन बढ़ते आंकड़ो को किस तरह से रोक पाती है।

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